भारत के लोगों की 1990 से जीने की उम्र दस साल तक बढ़ गई है. 1990 में जहां लोगों की जीवन संभावना 59.6 साल होती थी, वहीं अब 2019 में बढ़कर 70.8 साल हो गई है. हालांकि राज्यों के लोगों के अनुमानित जीवन काल में अंतर है. केरल में 77.3 साल है तो वहीं उत्तर प्रदेश में 66.9 साल तक ही लोग जी पाते हैं. लांसेट पत्रिका की रिपोर्ट में राज्यों के बीच गहरी असमानता पर चिंता जताते हुए सुझाव दिए गए हैं.


भारत के लोगों की उम्र में 10 साल की बढ़ोतरी


रिपोर्ट में दुनिया भर के 200 मुल्कों में मौत के 286, बीमारियों के 369 और चोट के 369 कारणों का परीक्षण किया गया. शोध के मुताबिक, 1990 में 59.6 साल से बढ़कर 2019 में भारतीय लोगों की जीने की उम्र बढ़कर 70.8 साल हो गई है. हालांकि कई विशेषज्ञों का कहना है कि भले रिपोर्ट भारत के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण पेश करती है मगर कुछ बातों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.


भारतीय लोक स्वास्थ्य संस्थान गांधीनगर के श्रीनिवास गोली कहते हैं, "स्वस्थ जीवन की उम्मीद भारत में जीने की संभावना के मुकाबले अप्रत्याशित रूप से नहीं बढ़ी है. लोगों को लंबे समय तक बीमारी और अपंगता के साथ जीना पड़ रहा है." वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता अली मोकदाद ने बताया, "भारत समेत दुनिया के हर देशों में संक्रामक बीमारियों में कमी अहम प्रगति के रूप में दिखाई दे रही है जबकि पुरानी बीमारियों में बढ़ोतरी हो रही है. हालांकि, दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में वैक्सीनेशन और बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं के जरिए संक्रामक बीमारियों को काबू कर लिया गया है. लेकिन कुछ देशों को अभी भी महामारियों को नियंत्रित करने में संघर्ष करना पड़ रहा है."


रिपोर्ट में राज्यों के बीच गहरी असमानता की खुली पोल


शोधकर्ताओं ने भारत का उदाहरण देते हुए कहा कि कुल बीमारी का 58 फीसद बोझ गैर-संक्रामक रोगों के कारण है. जबकि 1990 में ये 29 फीसद था. वहीं, गैर संक्रामक रोग से होनेवाली वक्त से पहले मौत की संख्या 22 फीसद से बढ़कर 50 फीसद हो गई है. 2019 में भारत में मौत के टॉप पांच जोखिम कारकों में वायु प्रदूषण, हाई ब्लड प्रेशर, तंबाकू का सेवन, खराब खानपान और हाई ब्लड शुगर था. रिपोर्ट में बताया गया कि 1990 से भारत को स्वास्थ्य के क्षेत्र में पर्याप्त लाभ हुआ है लेकिन शिशु और मातृ कुपोषण की समस्या बीमारी और मौत का एक प्रमुख कारण है.


उत्तर भारत के कई राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार में देश की कुल बीमारी का पांचवां हिस्सा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि वायु प्रदूषण के बाद तीसरे खतरे का कारण हाई ब्लड प्रेशर है. जिसकी वजह से भारत के आठ राज्यों में 10-20 फीसद स्वास्थ्य की हानि होती है. उन्होंने जोर दिया कि पूरी दुनिया को संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए सामाजिक और आर्थिक विकास के महत्व को पहचानने की जरूरत है.


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