Right Age Of Marriage For Girls: शादी की सही उम्र क्या है? इसका जवाब सबके लिए अलग-अलग हो सकता है. कोई बालिग होने से इसे जोड़कर देखेगा तो कोई नौकरी (Job) और एक खास उम्र से जोड़कर. लेकिन भारतीय समाज (Indian Society) में लड़कियों पर इस तरह की बातें ज्यादा लागू होती हैं. ढेर सारे संघर्ष के बाद लड़कियों को आज के समय में भी सिर्फ 24 से 25 साल की उम्र तक ही लोग अविवाहित (Unmarried Girls) देख पाते हैं. इसके बाद तो जैसे उन पर एक प्रेशर क्रिऐट (Marriage pressure) किया जाने लगता है. कि अब तो तुम्हें शादी करनी ही होगी.
क्यों होता है लड़कियों पर शादी का दबाव?
लड़कियों को 25 की उम्र के बाद शादी से जुड़े सवाल का अक्सर सामना करना पड़ता है. हर रिश्तेदार और पड़ोसी कभी सीधे तो कभी घुमा-फिराकर उसकी उम्र पर तंज कसते हुए बोल ही देता है कि शादी की उम्र हो गई है, अब तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए. इस स्थिति में लड़की मानसिक और भावनात्मक रूप से बहुत प्रताणित होती है. क्योंकि यही उम्र होती है करियर बनाने की और शादी के दबाव के बीच लड़की को करियर और शादी में से किसी एक को चुनना होता है. जहां लड़की ने करियर को चुन लिया, वहीं हमारा समाज और रिश्तेदार उस लड़की के प्रति अपना रवैया बदल लेते हैं. एकाएक वो लड़की सभी की नजरों में खटकने लगती है.
बेटा शादी कब करोगी?
हर जगह शादी से जुड़ा सवाल फेस करना किसी भी लड़की को बहुत परेशान करने वाला होता है. खासतौर पर जब वो अपने करियर पर फोकस कर रही हो. इस समय में उसे अपनों के सपॉर्ट की जररूत होती है. लेकिन हमारे समाज में लड़की को वो जरूरी सपॉर्ट तो मिल नहीं पाता बल्कि उस पर शादी का दबाव और डाल दिया जाता है. ऐसे में लड़कियां हर समय एक उधेड़बुन में फंसी रहती हैं. चाहे-अनचाहे वो इसी सवाल से जूझती रहती है 'बेटा शादी कब करोगी?'
नहीं अच्छे लगते त्योहार और फंक्शन
आप इस बात को नोटिस करेंगे कि जब लड़कियों से बार-बार शादी पर सवाल किया जाता है तो वे ऐसी किसी भी गेदरिंग का हिस्सा नहीं बनना चाहतीं, जहां ऐसे सवाल करने वाले लोग आ रहे हों. फिर चाहे वो उनके कितने ही प्यारे कजिन की शादी हो या फिर कोई तीज-त्योहार. लड़कियां ऐसी जरूरी खुशियों से भी खुद को दूर करने लगती हैं. आसान-सा लगने वाला यह सवाल बहुत गहरी चोट करता है, जिसका दर्द कोई भी लड़की बार-बार नहीं झेलना चाहती.
नहीं चल पाता रिश्ता
घर वालों के दबाव में आकर जब लड़कियां शादी करती हैं तो उनका रिश्ता या तो चल नहीं पाता और तलाक की नौबत आ जाती है या फिर बहुत सारी समस्याओं के बीच वे बस अपने रिश्ते को निभा रही होती हैं. यानी उनकी खुशी मानो छिन ही जाती है. दुख की बात यह है कि इससे ना रिश्तेदारों को फर्क पड़ता है और ना ही पड़ोसियों को. अपनी लाडली को दुखी देखकर सिर्फ पैरंट्स ही दुखी होते हैं. लेकिन वे भी तलाक के डर और समाज के डर से बेटी को ही समझाते रहते हैं. आपको भविष्य में ऐसी स्थितियों का सामना ना करना पड़े इसके लिए आप अपनी इच्छा के अनुसार शादी का फैसला करें, किसी दबाव में आकर नहीं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई बातें सामाजिक मान्यताओं, महिलाओं के संघर्ष और उनके निजी अनुभवों पर आधारित हैं. किसी भी समाज या वर्ग की भावनाओं को आहत करने का हमारा प्रयास नहीं है. इन बातों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है.
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