Human Eye Science : आपने नोटिस किया होगा कि हर इंसान की आंखों का रंग अलग होता है. किसी की भूरी, किसी की काली और इसके अलावा कई लोगों की आंखें हरी, नीली और गहरे भूरे रंग की भी होती हैं.  अलग रंग की आंखे अक्सर लोगों का ध्यान अपनी और खींचती हैं.  ऐसे लोग बड़े आकर्षक दिखते हैं जिसके चलते कई लोग अलग अलग कलर्स के लेंस भी लगाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी अलग अलग रंगों की आंखें होने के पीछे का कारण जाना है. नहीं तो चलिए आज जानते हैं इसके पीछे का साइंस. 

 


क्या होती है आंखो के रंग के पीछे की साइंस ?


हमारा शरीर इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि इसमें आँखों का रंग पुतली में मेलेनिन की मात्रा से निर्धारित होता है. इसके अलावा प्रोटीन की डेन्सिटी और आंखों का रंग भी आसपास की लाइट पर डिपेंड करता है. आपको बता दें कि हमारी आँखों के रंग को 9 कैटगरीज़ में बांटा गया है, जिसमें 16 जीन्स होते है जो हमारी आंखों के रंग से जुड़े होते हैं.

 

ये हैं दो प्रमुख जीन 

आंखों के रंग के लिए जिम्मेदार दो प्रमुख जीन OCA2 और HERC2 हैं. ये दोनों क्रोमोसोम जिसे बॉडी का पॉवरहाउस कहा जाता है उसपर मौजूद होते हैं. दरअसल, HERPC2 जीन OCA2 के एक्सपांशन को कंट्रोल करने का काम करता है. एचईआरसी2  जीन को कुछ हद तक नीली आंखों के लिए जिम्मेदार माना जाता है, वहीं OCA2 नीली और हरी आंखों से जुड़ा है.

 

अधिकतर भूरी आंखे होने का क्या है कारण ?

दुनिया में ज्यादातर लोगों की आंखें भूरी होती हैं. इसके पीछे का कारण यह है कि इसे डेवलप करने वाले जीन ज्यादातर लोगों में मौजूद होते हैं. वहीं नीली आंखों वाले लोगों की संख्या दुनिया में सबसे कम है क्योंकि यह जीन्स बहुत कम लोगों में ही पैदा हो पाते हैं.

 

नीली आंखों का इतिहास

दुनिया में भूरी आंखों वाले लोग आसानी से हर जगह आपको मिल जाएंगे, लेकिन नीली आंखों वाले लोग मिलना बहुत मुश्किल होता हैं. हमारे सब के पूर्वज एक ही थे लेकिन प्रकृति में कुछ बदलाव आए जिसकी वजह से लोगों की आँखो का रंग चेंज हो गया.

 

बढ़ती उम्र के साथ बदल सकता है रंग

आपको जानकर हैरानी होगी कि वैज्ञानिकों के मुताबिक जीवन के शुरुआती दौर में हमारी आंखों का रंग बहुत तेजी से बदल सकता है. कभी-कभी ऐसा होता है कि बच्चा नीली आंखों के साथ पैदा होता है, लेकिन बाद में आंखों का रंग भूरा हो जाता हैं.

 

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