World Literacy Day : हर साल 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय  साक्षरता दिवस (International Literacy Day 2022) मनाया जा रहा है. इसका उद्देश्य शिक्षा को बढ़ावा देना है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को साक्षर होने के लिए जागरुक करना. पूरी दुनिया के लोग इस दिन को मनाने आगे आते हैं और अपने-अपने स्तर पर कई कार्यक्रम का आयोजन करते हैं. भारत में भी शिक्षा को लेकर कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. सर्व शिक्षा अभियान इसका एक सबसे बड़ा उदाहरण है. आइए जानते हैं आखिर हर साल क्यों मनाया जाता है विश्व साक्षरता दिवस, इसका इतिहास और भारत में साक्षरता की स्थिति...

 

साक्षरता क्या होती है

साक्षर शब्द से साक्षरता (Literacy) बना है. इसका अर्थ होता है शिक्षित होना. दुनियाभर की आबादी तक, हर देश, हर समाज, हर गांव, हर समुदाय तक लोगों को शिक्षित बनाना इस दिन को मनाने का उद्देश्य है. जितना ज्यादा लोग शिक्षा ग्रहण करेंगे, उतना ही बेहतर  भविष्य उस परिवेश का होगा. 

 

साक्षरता दिवस का इतिहास

यूनेस्को (UNESCO) ने पहली बार 7 नवंबर, 1965 को विश्व साक्षरता दिवस मनाने का फैसला किया। इसके बाद 8 सितंबर, 1966 को दुनिया ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया. दुनिया के कई देशों ने इसमें पार्टिसिपेट किया और जन-जन तक शिक्षा पहुंचाने का संकल्प लिया.

 

साक्षरता दिवस का थीम

साक्षरता दिवस 2022 की थीम है 'ट्रांसफॉर्मिंग लिटरेसी लर्निंग स्पेस' (Transforming Literacy Learning Spaces) है. हर साल थीम तय करने के बाद इस दिन को मनाया जाता है ताकि उसी दिशा में आगे बढ़ा जा सके. पिछले साल 2021 का थीम 'मानव-केंद्रित पुनर्प्राप्ति के लिए साक्षरता: डिजिटल विभाजन को कम करना' थीम था।

 

भारत में कितने लोग पढ़े-लिखे

वर्तमान में विश्व की करीब 84 प्रतिशत आबादी साक्षर है। जबकि भारत की बात करें तो कुल साक्षरता दर 74.4 प्रतिशत है। इसमें 82.37 प्रतिशत पुरुष और 65.79 प्रतिशत महिलाएं साक्षर हैं. यह आंकड़ा 2011 की जनगणना के आधार पर है. केरल सबसे ज्यादा साक्षरता वाला राज्य है. वहीं, बिहार सबसे कम. यूपी नीचे से 5 देशों में शामिल है. भारत में शिक्षा के स्तर को सुधारने लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

 

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