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क्या फूड से पोषक तत्वों को प्राप्त करना बेहतर है या सप्लीमेंट्स से? जानिए सही जवाब

Natural vs Supplements: प्राकृतिक फूड या सप्लीमेंट्स दोनों में से कौन बेहतर है, इस पर बहस जारी है. प्राकृतिक फूड बनाम सप्लीमेंट फूड के बीच अंतर, सेहत पर उसके प्रभाव को समझना जरूरी है.

Natural vs Supplements: फूड बनाम सप्लीमेंट्स की बहस उस वक्त से जारी है जब से दवा कंपनियों को एहसास हुआ कि पोषक तत्वों को बोतल में बंद कर बिक्री की जा सकती है. रही सही कसर महामारी ने पूरी कर दी. उसने फूड पर अधिक जागरूकता पैदा करने और निर्माण करने को प्रेरित किया. हम में से ज्यादातर केमिकल बेस्ड फूड के इस्तेमाल से बचना चाहते हैं और प्राकृतिक पोषक तत्वों के साथ अपने स्वास्थ्य को ठीक करना चाहते हैं.

ज्यादातर लोग भूल जाते हैं कि इस्तेमाल की जानेवाली गोलियां मात्र लक्षणों का इलाज कर सकती हैं और दर्द से फौरन राहत दे सकती हैं, लेकिन मूल कारण तक कभी नहीं पहुंच पाएंगी. फिर भी, प्राकृतिक फूड बनाम सप्लीमेंट फूड के बीच अंतर, सेहत पर उसके प्रभाव को समझना जरूरी है. 

सप्लीमेंट्स बनाम नेचुरल की बहस जारी

प्राकृतिक प्रोडक्ट्स प्लांट्स से मिलनेवाले प्रोडक्ट्स होते हैं, जिसमें फल या सब्जियां हो सकती हैं. ये प्राकृतिक सप्लीमेंट्स थोड़ा इस मायने में अलग होते हैं कि उसमें विटामिन सी, आयरन या जिंक समेत कई अच्छे पोषक तत्व पाए जाते हैं. मिसाल के तौर पर आंवला, उसमें स्वाभाविक रूप से विटामिन सी और 100 ग्राम फल में 600 मिलीग्राम तक उसकी बड़ी मात्रा मौजूद होती है. आंवला में विटामिन सी 80 मिनट तक उबालने के बाद भी स्थिर रहता है. ये संकेत है कि पाउडर के तौर पर पानी रहित आंवला विटामिन सी का शानदार स्रोत है.

आंवला में फाइटोन्यूट्रीयंट्स कई तरीकों जैसे पाचन सुधारने और लिवर की सेहत को ठीक करने में मदद करता है. ये शुरुआती चरणों में बढ़े हुए ब्लड शुगर लेवल को काबू करने में मदद करता है, और आयरन के साथ, हीमोग्लोबिन लेवल को भी सुधारता है. सप्लीमेंट के तौर पर ली गई उतनी ही डोज मात्र विटामिन सी उपलब्ध कराती है और दूसरे फायदे नहीं देती. साबुत अनाज में शरीर को जरूरत से बहुत ज्यादा सूक्षम पोषक तत्व मिलते हैं. उसके अलावा, साबुत अनाज में मौजूद स्वाभाविक तौर पर फाइबर दिल की बीमारी और टाइप 2 डायबिटीज की रोकथाम में भी मदद करता है. 

सप्लीमेंट्स डाइट की जगह नहीं ले सकते

सप्लीमेंट्स ऐसे प्रोडक्ट्स होते हैं जो प्राकृतिक या कृत्रिम रूप से कमी को पूरा के लिए बनाया जाता है, जो लोगों की डाइट में पैदा किए जाते हैं. ये विटामिन्स या मिनरल्स या एमिनो एसिड या खास प्रकार के प्रोटीन्स या प्रोबायोटिक्स होते हैं. सप्लीमेंट्स का फायदा ये है कि उनका इस्तेमाल आसान होता है, क्योंकि ये कैप्सूल, टैबलेट या तरल शक्ल में आते हैं. ये उन लोगों के लिए होता है जो हेल्दी नहीं खा पाते हैं और अपनी डाइट को हेल्दी बनाने के लिए व्यवहार परिवर्तन को तैयार नहीं होते.

सप्लीमेंट्स जैसे मल्टी विटामिन्स या मिनरल्स उनको उनकी आवश्यक आहार मात्रा प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं. विटामिन और मिनरल की अवशोषण क्षमता को बढ़ाने की चिंता में सप्लीमेंट्स के साथ संतुलित डाइट खाने की हमेशा सिफारिश की जाती है. सप्लीमेंट्स हेल्दी डाइट का समर्थन करते हैं मगर डाइट की जगह नहीं ले सकते. जो लोग अपने फूड को पचाने में सक्षम नहीं हैं, ऐसी सूरत में सप्लीमेंट्स कमी को पूरा करने में उनकी मदद कर सकते हैं. प्राकृतिक फूडस् और सप्लीमेंट्स दोनों की खास भूमिका होती है. सप्लीमेंट खाने से पहले पेशेवर की मदद लेना सबसे अच्छा कदम है.

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