How Did Jalebi Come To India: दिखने में एकदम गोल, खाने में करारी, लाल और नारंगी रंग की होती है जलेबी. बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को जलेबी खूब पसंद आती है. गर्मागरम चाशनी में डूबी जलेबी खाने को मिल जाए तो मज़ा ही आ जाता है. भारत के लगभर हर शहर में आपको जलेबी मिल जाएगी. ये अलग-अलग राज्यों में कहीं बड़ी तो कहीं छोटी जलेबी खाई जाती है. घर परिवार में लोग खुश होने पर जलेबी मंगा लेते हैं. कम लागत और फ्रेश होने की वजह से लोग जलेबी को खूब चाव के साथ खाते हैं. कहीं जलेबी के साथ रबड़ी खाई जाती है तो कहीं जलेबी को दूध और दही के साथ खाना पसंद करते हैं. आज हम आपको जलेबी का इतिहास, इसके किस्से कहानियां और जलेबी के अलग-अलग नाम और खाने के तरीकों के बारे में बता रहे हैं. जो बिल्कुल जलेबी की तरह ही गोल-गोल हैं.
जलेबी कितने प्रकार की होती है?
जलेबी बनाने का तरीका और स्वाद लगभग एक जैसा ही होता है. लेकिन इसे अलग अलग जगहों पर अलग नाम और साइज के हिसाब से पुकारा जाता है.
- जलेबा- मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में 300 ग्राम की एक जलेबी मिलती है. इसमें कद्दूकस किया पनीर डाला जाता है. यहां इसे जलेबी नहीं बल्कि जलेबा कहते हैं.
- चनार जिल्पी: जलेबी को बंगाल में 'चनार जिल्पी' कहते हैं. ये स्वाद में बंगाली गुलाब जामुन 'पंटुआ' की तरह होती है. जिसे दूध मावा से तैयार किया जाता है.
कब और कैसे हुई जलेबी की शुरुआत
टर्की आक्रमणकारियों के साथ जलेबी भारत में पहुंची थी. भारत में जलेबी का इतिहास करीब 500 साल पुराना है. इस दौरान जलेबी के नाम, बनाने का तरीका और स्वाद में कई स्थानीय परिवर्तन होते चले गए. अब जलेबी त्योहार, खुशी और उत्सव का पर्याय बन चुकी है. हौब्सन-जौब्सन के मुताबिक अरेबिक शब्द 'जलाबिया' या फारसी शब्द 'जलिबिया' से जलेबी शब्द आया है. मध्यकालीन पुस्तक 'किताब-अल-तबीक़' में 'जलाबिया' नाम की मिठाई का वर्णन है. जो पश्चिम एशिया से निकला हुआ शब्द है. जलेबी भारत ही नहीं ईरान में भी मिलती है. यहां इसे 'जुलाबिया या जुलुबिया' कहते हैं. अरेबिक पाक कला की पुस्तकों में 'जुलुबिया' बनाने का उल्लेख है. वहीं 17 वीं शताब्दी में 'भोजनकुटुहला' नाम की एक किताब और संस्कृत की किताब 'गुण्यगुणबोधिनी' में भी जलेबी के बारे में उल्लेख किया गया है.
विदेशों में भी खाई जाती है जलेबी
जलेबी सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कई दूसरे देशों में भी खाई जाती है. लेबनान में 'जेलाबिया' एक लंबे आकार की पेस्ट्री होती है. ईरान में इसे जुलुबिया, ट्यूनीशिया में ज'लाबिया, और अरब में जलेबी को जलाबिया के नाम से जानते हैं. अफगानिस्तान में मछली के साथ जलेबी सर्व की जाती है. श्रीलंका में भी लोग जलेबी खाते हैं. यहां इसे 'पानी वलालु' मिठाई कहते हैं ये जलेबी के जैसी ही होती है. नेपाल में "जेरी' मिठाई जलेबी का ही रूप है.