(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कैलाश पर्वत की यात्रा: कब और कैसे की जाती है ये कठिन यात्रा, रजिस्ट्रेशन से लेकर हर जरूरी जानकारी
कैलाश पर्वत की यात्रा भारत में पर्व के तौर पर मनाई जाती है. लोग यात्रा के लिए बहुत अधिक उत्सुक होते हैं. यात्रा का जुड़ाव सेंसटिव क्षेत्र से है. यहां सुरक्षा और फिटनेस के मानकों का विशेष ध्यान रखा है.
Kailash Mansarovar Yatra 2023: कैलाश पर्वत की यात्रा यानि कैलाश मानसरोवर यात्रा भारत में एक पर्व के रूप में देखी जाती है. यहां लोग बड़े ही उत्साह से यात्रा में शामिल होते हैं. जानकारों का कहना है कि यात्रा का कुछ हिस्सा बेहद संवेदनशील क्षेत्रों से होकर गुजरता है. वहीं दुर्गम पहाड़ इसे और खतरनाक बनाते हैं. लेकिन भगवान भोले की धुनी में रमे भक्त इन सबसे बेपरवाह यात्रा पूरी कर लौटते हैं. केंद्र सरकार इस यात्रा को लेकर बेहद गंभीर रहती है और इसके लिए कुछ आवश्यक मानक भी तय किए गए हैं. कैलाश पर्वत की यात्रा कब शुरू होगी और क्या इसके लिए प्रोसेस है. यही जानने की कोशिश करते हैं.
मई और सितंबर में होगी यात्रा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कैलाश मानसरोवर की यात्रा इस साल 2023 में मई और सितंबर के बीच आयोतिजत होगी. यात्रा को सड़क और हेलीकॉप्टर से पूरा किया जा सकेगा. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से जरूरी नार्म्स तय किए हैं. मानसरोवर यात्रा के लिए जरूरी प्रक्रिया पूरी करने में 10 से 30 दिन लग जाते हैं.
ये हैं जरूरी नार्म्स
आवेदक भारत का नागरिक हो, 6 महीने के लिए वैध भारतीय पासपोर्ट होना चाहिए. न्यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम 70 होनी चाहिए. 25 या उससे कम का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) होना चाहिए. यात्रा के लिए मेडिकल पिफटनेस टेस्ट अनिवार्य है. विदेशी नागरिक और ओसीआई कार्डधारक मानसरोवर यात्रा के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं.
ऐसे होती है चयन की प्रक्रिया
आवेदक का चयन एक कंप्यूटर प्रक्रिया से होता है. इसमें कुछ नामों को खुद से ही ले लिया जाता है. जो लोग यात्रा के लिए चुन लिए जाते हैं. उन्हें स्वचालित ईमेल या एमएसएमस भेज दिया जाता है. इसके बाद कुछ जरूरी फीस आवेदक को जमा कर अपनी यात्रा कंफर्म करनी होती है.
ऐसे होती है मेडिकल टेस्ट की प्रक्रिया
जिन यात्रियों को कंप्यूटर के स्तर से चुन लिया जाता है. उनकी मेडिकल जांच के लिए दिल्ली ले जाया जाता है. दिल्ली के हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट और आईटीबीपी बेस हॉस्पिटल में उनकी जरूरी मेडिकल जांच की जाती है. बाद में आईटीबीपी बेस अस्पताल तय करता है कि कौन यात्री कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए पूरी तरह फिट है.
यात्रा में भी होते हैं मेडिकल टेस्ट
मेडिकल टेस्ट की प्रक्रिया केवल दिल्ली में ही खत्म नहीं होती है. उंचाई पर आईटीबीपी गुंजी (लिपुलेख पास से यात्रा) और शेरथांग (नाथू ला से यात्रा) में एक और मेडिकल परीक्षण किया जाता है. यहां भी यात्री को पूरी तरह फिट होना चाहिए. यदि किसी तरह की गड़बड़ होती है तो यात्री को आगे की यात्रा करने की अनुमति नहीं होती है.
6 महीने तक वैध होना चाहिए भारतीय पासपोर्ट
भारतीय पासपार्ट 6 महीने तक वैध होना चाहिए. इसमें एक सरकारी अधिपत्र और होता है, जिसपर सरकारी अधिकारी के स्तर से प्रमाणित होता है. इसपर लिखा होता है कि आवेदक अपने जोखिम पर यात्रा कर रहे हैं. इसके अलावा कुछ और शर्ते तय होती हैं.
ये होती है परिमट की प्रक्रिया
कैलाश पर्वत जाते समय यह भी देखना होता है कि आप किस ओर से जा रहे हैं. यदि ल्हासा की ओर से कैलाश पर्वत जा रहे हैं तो तिब्बत का परमिट लेना पड़ता है. तिब्बतन गाइड बुरंग में माउंट कैलाश जाने के लिए एलियन यात्रा परमिट और सैन्य परमिट और विदेशी मामलों का परमिट दिलवाता है. वहीं, काठमांडू से कैलाश पर्वत जाते है तो ज़रूरी दस्तावेज़ों के साथ तिब्बत में एंट्री के लिए वैध पासपोर्ट के साथ चीन ग्रुप वीजा लेना होता है. इसमें 3 दिन का समय लगता है.
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