नई दिल्लीः
कैसे मनाएं करवाचौथ-
करवाचौथ यानि करवा चतुर्थी. इस दिन पत्नियां कठोर उपवास करती हैं जिससे उनके पति की आयु बढ़े. बेशक, करवा चतुर्थी आज एक दूसरा रूप भी ले चुकी है, करवाचौथ का व्यवसायीकरण हो गया है. महिलाएं खूब सजती-धजती हैं. मार्केट जाती हैं. लेकिन इन सबके बावजूद महिलाएं कठोर व्रत और पूजा से अपने पति की आयु लंबी होने की कामना करती हैं. आज गुरूजी बताएंगे 8 अक्टूबर को होने वाले करवाचौथ का उपवास कैसे करें. करवाचौथ की पूजा में क्या चीजें चाहिए होती हैं. करवाचौथ का शुभ मुहूर्त क्या है.
करवाचौथ का उपवास कैसे करें-
करवा चतुर्थी की जब बात होती है तो करवाचौथ के मनाने के पीछे एक कहानी है. करवाचौथ की पूजा के दौरान इस कहानी को सुना जाता है. मान्यताएं हैं कि ये पौराणिक कथा है. लेकिन आज तक इस कथा के पौराणिक होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है. कई महिलाएं इस कथा से डर भी जाती हैं.
करवाचौथ की कथा-
कथा के अनुसार, एक साहूकार के घर उसकी बेटी ससुराल से आई. शाम को सब लोग भोजन कर रहे थे. करवा चतुर्थी होने के कारण बेटी ने सबके साथ भोजन करने से इंकार कर दिया. जब उसे कहा गया कि भोजन करो तो बेटी ने इंकार कर दिया और हठ करने लगी कि चंद्रमा देखने के बाद ही भेाजन करूंगी. अपनी बहन का ये हठ उपवास एक भाई से सहन नहीं हुआ क्योंकि उसकी बहन भूख-प्यास से बहुत व्याकुल थी. भूख की वजह से तड़प रही थी. कमजोर हो रही थी. तब भाई ने एक दीपक जलाकर छत पर रख दिया और अपनी बहन से झूठ बोला कि चांद निकल आया है, उसके दर्शन करो और भोजन करो. बहन ने इसे सच मानकर भोजन कर लिया. ऐसा करने के बाद अचानक बहन को पति के निधन की खबर मिली. उसके बाद महिला ने अपनी पति के शव को पास रखकर एक साल तक कठोर उपवास किया. जिसके फलस्वरूप करवा देवी प्रसन्न होकर महिला के समक्ष प्रकट हुईं. करवा देवी ने एक खास तरीके से महिला के पति को जिंदा कर दिया.
क्या है वह खास तरीका-
करवा देवी उस महिला के भाई की पत्नी के पास गईं. तब भाई की पत्नी करवा देवी को कसकर पकड़ लेती हैं ताकि करवा देवी उसकी ननद के पति को जिंदा कर दें. भाई की पत्नी करवा देवी को तब तक पकड़े रहती है जब तक करवा देवी ननद के पति को जीवित नहीं कर देती. करवा देवी इनका तप देखकर प्रसन्न होती हैं और ननद के पति को जीवित कर देती है. इस घटना के बाद से करवा चतुर्थी को करवाचौथ के रूप में मनाया जाने लगा.
करवाचौथ का शुभ मुहूर्त-
करवाचौथ की पूजा शाम 6 बजकर 20 मिनट से शाम 7 बजकर 31 मिनट तक के बीच आप कर लें.
करवाचौथ व्रत पूजा के लिए सामग्री-
- मिट्टी के करवे का इस्तेमाल करें.
- करवाचौथ के दिन बालचंद्र यानि उगते चंद्रमा के दर्शन करने चाहिए. जब चंद्रमा बहुत धीमा हल्का मंद-मंद हो तभी इसके दर्शन करें.
- उगते चंद्रमा के दर्शन करते हुए जल दें.
- चंद्रमा का पूर्ण रूप देखने से लाभ कम मिलता है.
करवाचौथ के दिन चंद्रोदय का समय-
दिल्ली और आसपास चंद्रोदय का समय शाम 8 बजकर 43 मिनट है. लगभग सब जगह चंद्रोदय 8.30 से 9.00 बजे तक हो जाएगा. कहीं-कहीं शाम 7.50 पर भी चंद्रोदय हो सकता है.
ऐसी महिलाएं ना करें करवाचौथ-
- करवाचौथ के पर्व पर गर्भवती महिलाएं बिना डॉक्टर की सलाह के करवाचौथ का कठोर उपवास ना करें.
- यदि आप बीमार हैं तो भी डॉक्टर की सलाह के बिना करवाचौथ का कठोर व्रत ना करें.
- दरअसल, करवाचौथ के दिन सूर्य उदय से पूर्व खाया जाता है. उसके बाद दिनभर भूखे-प्यासे रहने का असर गर्भ पर पड़ सकता है. करवाचौथ के व्रत में जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है.
- बहुत सी महिलाओं को करवाचौथ के दिन भी दिनभर काम करना पड़ता है तो इसका असर आपकी सेहत पर भी पड़ सकता है.
- करवाचौथ का असर आपके गर्भ और शरीर पर ना पड़े. इस बात का खास ख्याल रखें.
पुरुष भी करें व्रत-
पुरुषों को भी अपनी जिंदगी में मौजूद मां, बहन और पत्नी़ के लिए उपवास करना चाहिए. जब बहन भाई के लिए कुछ कामना करती है, मां बेटे के लिए उपवास रख कामना करती है तो पुरुषों को भी उनकी मंगल कामना के लिए व्रत या कोई अनुष्ठान करना चाहिए.
नोट: ये उपाय गुरू जी के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले लें.