Decision Making: डिसीजन मेकिंग हमारी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. अगर समय रहते व्यक्ति अच्छा डिसीजन ले ले तो इससे उसका भविष्य अच्छा बन सकता है. वहीं,  बिना सोचे समझे ताव में आकर यदि कोई व्यक्ति डिसीजन लेता है तो इसका खामियाजा उसे सालों तक भुगतना पड़ सकता है. आज बदलते खान-पान और जीवनशैली की वजह से भी लोगों की डिसीजन लेने की क्षमता कम हो गई है. यानी लोग जल्दबाजी में कुछ भी फैसले ले लेते हैं.


निर्णय लेना या डिसीजन मेकिंग आसान काम नहीं है. भले ही आप किसी विषय पर कितना ही सोच विचार कर लें, आप कभी न कभी गलत निर्णय ले लेते हैं. कई बार ऐसा होता है कि हमारे आसपास जो लोग मौजूद हैं उनकी वजह से भी हम गलत निर्णय ले लेते हैं जिसके चलते हमें बाद में खामियाजा भुगतना पड़ता है. लाइफ कोच निपा आशाराम ने कुछ टिप्स बताए हैं जिसके जरिए व्यक्ति बेहतर निर्णय ले सकता है. उन्होंने कहा कि कई बार व्यक्ति सिचुएशन को एक्सेप्ट नहीं करता है और इससे उसका समय और प्रयास दोनों बर्बाद होता है.


 लाइफ कोच निपा आशाराम ने पांच ऐसी बातें बताई हैं जिन्हें आप डिसीजन लेते वक्त अपने दिमाग में रख सकते हैं. ये बातें आपको एक अच्छा निर्णय लेने में मदद करेंगी जिससे आप अपनी ताकत(एनर्जी) को उस जगह लगा पाएंगे जहां वास्तव में उसकी आवश्यकता है.


गांठ बांध लें ये बातें


-निपा आशाराम ने बताया कि हर व्यक्ति का रिस्पांस आपकी तरह नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति सिचुएशन पर अलग-अलग तरीके से रिस्पॉन्ड करता है. इसलिए लोगों की बातों पर गौर करने के बजाय अपने आप पर ध्यान दें और सिचुएशन को समझ कर अपनी राय बनाएं. 


-लाइफ कोच ने कहा कि अगर आप किसी की प्रजेंस को मिस कर रहे हैं तो ये जरूरी नहीं है कि आप उसे ठीक करने के लिए दिन-रात सोचें. उदाहरण के लिए मान लीजिए यदि आपका अपने दोस्त के साथ झगड़ा हो गया है तो ये जरूरी नहीं कि आप उसे ठीक करें.  पहले ये बात समझे की सिचुएशन क्या है और तब निर्णय लें. इससे आपको सामने वाले व्यक्ति के बारे में और बातें पता लगेंगी जो आपको बेहतर निर्णय लेने में मदद करेगा. उन्होंने कहा कि किसी को मिस करना खालीपन जैसा है जो आपके जीवन में नए लोगों को आकर्षित कर सकता है. यह एक व्यक्ति के लिए अच्छा है


-निपा आशाराम ने कहा कि यदि कोई वास्तव में सिचुएशन को ठीक करना चाहता है तो वह उसे करेगा. इसलिए आप उस विषय में ज्यादा न सोचें और न ही ये एक्सपेक्ट करें कि उन्हें ठीक करने की कोशिश करनी चाहिए जैसा आप चाहते हैं.


-लाइफ कोच ने कहा की यूनिवर्स पर अटूट विश्वास होने का मतलब यह नहीं है कि कठिन समय आपके जिंदगी में कभी नहीं आएगा या नुकसान नहीं होगा.  उन्होंने कहा कि ये सब यात्रा का हिस्सा है जो व्यक्ति को विकसित कर सकता है और शक्तिशाली बनाता है. हर सिचुएशन जिंदगी में व्यक्ति को कुछ न कुछ सीख देती है जिससे वह समझदार और शक्तिशाली बनता है.


-कई बार सिचुएशन पर कोई रिस्पांस न देना भी अपने आप में एक रिस्पांस है. इससे आपको सामने वाले व्यक्ति के बारे में और ज्यादा जानकारी पता लगेगी कि आखिर में वह कैसे हैं और सच्चाई क्या है.


-इसके अलावा निर्णय लेने से पहले यह पता करें कि आप वास्तव में क्या चाहते हैं और आपका क्या लक्ष्य है. कई बार हम लक्ष्य को लेकर क्लियर नहीं होते और इस वजह से डिसीजन नहीं ले पाते. फिर चाहे ये दोस्ती हो, रिलेशनशिप हो या कोई कामकाज. 


-निर्णय लेने से पहले नफा नुकसान का भी आकलन कर लें. इससे आपको बेहतर समझ आएगा कि आपको क्या करना चाहिए. 


-ऐसे लोगों से बात करें जो आपका सपोर्ट सिस्टम है बजाय उनके जो व्यर्थ आपको कंफ्यूज करते हैं. 


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