दुनिया भर में बहुत से बच्चे पैदा होते ही विकलांग होते हैं. ऐसे बच्चों की संख्या लगभग ढाई लाख है जो पैदा होने के 28 दिनों के अंदर ही मर जाते हैं. इसके अलावा, लगभग 1 लाख 70 हजार विकलांग बच्चे 1 महीने से 5 साल की उम्र तक जीवित रह पाते हैं. विकलांगता कई वजहों से हो सकती है - कुछ तो हमारे हाथ में नहीं हैं, लेकिन कुछेक ऐसी भी हैं जिन्हें हम रोक सकते हैं. लेकिन कुछ बातों को ध्यान में रखकर बच्चे के विकलांग होने का खतरा कम किया जा सकता है. आइए जानते हैं किन बातों का रखें ध्यान...


पौष्टिक आहार 
प्रेगनेंसी के दौरान मां और बच्चे दोनों के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार बहुत जरूरी है. प्रत्येक दिन कोशिश करें कि आपका खाना पोषक तत्वों से भरपूर हो - जैसे दालें, हरी सब्जियां, फल, अंकुरित अनाज, नट्स व बीज, दूध और दही. ये सभी आपके शरीर को प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन जैसे महत्त्वपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करते हैं. जिनकी बच्चे के सही विकास और वृद्धि के लिए बहुत जरूरत होती है.


जरूर करवाएं ये टेस्ट 
गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कुछ जरूरी स्क्रीनिंग टेस्ट किए जाते हैं. इनमें से डबल मार्कर टेस्ट और ट्रिपल मार्कर टेस्ट काफी मुख्य टेस्ट है.. ये टेस्ट गर्भस्थ शिशु में किसी जेनेटिक असामान्यता या विकार का पता लगाने में मदद करते हैं. डबल मार्कर टेस्ट को गर्भावस्था के 11वें से 13वें सप्ताह के बीच में करवाया जाता है. यह टेस्ट डाउन सिंड्रोम जैसी जेनेटिक बीमारियों की पहचान करने में सहायक होता है. ट्रिपल मार्कर टेस्ट 16वें से 18वें सप्ताह में किया जाता है और यह डाउन सिंड्रोम समेत अन्य जेनेटिक विकारों का पता लगाने में मददगार साबित होता है. इससे पेट पल रहे शिशु के किसी भी तरह के विकलांगता का पता लग जाता है. 


सप्लीमेंट्स जरूर लें 
प्रेगनेंसी में सबसे जरूरी दवाइयों में फोलिक एसिड, आयरन और कैल्शियम सप्लीमेंट्स तथा विटामिन्स आदि शामिल हैं. फोलिक एसिड से बच्चे के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के विकास में मदद मिलती है. आयरन और कैल्शियम बच्चे और मां की हड्डियों के लिए जरूरी होते हैं. विटामिन भी मां और बच्चे के स्वस्थ रहने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं.


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