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ये बैंक पैसा नहीं गरीब दुल्हन को शादी के लिए फ्री में लहंगा देती है, टैक्सी ड्राइवर ने शुरू किया 'ड्रैस बैंक'
Dress Bank: ऐसी फैमिली जिनके पास बेटी की शादी के लिए कपड़े खरीदने के पैसे होते, उनकी मदद के लिए 'ड्रेस बैंक' शुरू की गई है. एक टैक्सी ड्राइवर की पहल से अनगिनत परिवारों में खुशियों का रंग भर रहा है.
Bridal Dress Bank : अभी तक आपने मनी बैंक, ब्लड बैंक, बुक बैंक और रोटी बैंक के बारें में सुना होगा, लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं 'ड्रेस बैंक' (Dress Bank) के बारें में..जी, हां, यह एक ऐसा बैंक है जहां गरीब परिवार की दुल्हनों के लिए लहंगे और वेडिंग कपड़े मिलते हैं, वो भी बिल्कुल मुफ्त. ड्रेस बैंक की स्थापना करने वाला शख्स कोई रईस या बिजनेसमैन नहीं है बल्कि वो भी गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है. एक परिवार का दर्द देखकर उसको यह आइडिया आया और अब तक वह 260 से ज्यादा गरीब दुल्हनों की शादी में अपनी इस पहल से खुशियों के रंग भर चुका है. आइए जानते हैं क्या है यह ड्रेस बैंक, कहां से हुई शुरुआत और कौन है वह शख्स जो बिखेर रहा है खुशियां..
टैक्सी ड्राइवर की पहल, गरीब दुल्हनों की 'दुनिया'
'ड्रेस बैंक' का यह आइडिया है केरल (Kerala) के टैक्सी ड्राइवर नासर थूथा (Nasar Thootha) का. वो 10 साल तक सऊदी अरब के रियाद में एक फूड सुपर मार्केट में काम करते रहे लेकिन फिर दिमाग में कुछ अच्छा करने का आइडिया आया. उन्होंने नौकरी छोड़ दी और वापस गांव आ गए. यहां आकर टैक्सी और एंबुलेंस चलाने लगे. थूथा के चार बच्चे भी हैं और फैमिली की खुशियों की देखभाल के साथ वे गरीब फैमिली की मदद भी कर रहे हैं.
कहां से आया 'ड्रेस बैंक' का आइडिया
एक मीडिया हाउस से बातचीत के दौरान नासर ने ड्रेस बैंक की जानकारी देते हुए बताया कि सऊदी अरब से वापस आने के बाद वे गरीब और बेघर के पुनर्वास में मदद कर रहे थे. उसी दौरान वे कई ऐसी फैमिली से भी मिले, जिनकी बेटियों की शादी थी और उनके पास कपड़े तक नहीं थे. ज्यादातर कपड़े महंगे होते हैं, इसलिए वो अफोर्ड नहीं कर सकते थे. यहीं से उनके मन में ख्याल आया कि क्यों न इन जैसे गरीब परिवारों की मदद की जाए.
और फिर शुरू हुआ 'ड्रेस बैंक'
साल 2020 की बात है, कोरोना का दौर था. नासर थूथा को गरीब परिवारों के लिए काम करना था तो उन्होंने चैरिटी का सोचा. वॉट्सएप और फेसबुक पर उन्होंने ग्रुप बनाए, कुछ लोगों को जोड़ा और फिर लोगों से पुराने वेडिंग कपड़ों को देने की अपील की. शुरू-शुरू में तो उन्हें थोड़ा संघर्ष करना पड़ा लेकिन फिर जल्द ही वह दिन भी आ गया, जिसका नासर को इंतजार था. उनके बताए एड्रेस पर नए-नए कपड़े पहुंचने शुरू हो गए. उन्होंने इन कपड़ों को घर के एक कमरे में रखा और इसी कमरे से शुरू किया 'ड्रेस बैंक'. फिर सोशल मीडिया पर बात दूर-दूर तक पहुंचती रही और एक-एक कर लोग मदद को आगे आने लगे. इन कपड़ों को नासर सबसे पहले ड्राई-क्लीनिंग करते हैं और फिर एयरटाइट पैकेट में लपेटकर गरीब फैमिली और जरूरतमंदों तक पहुंचाने का काम करते हैं.
गरीब दुल्हनों की खुशियों में 'रंग'
नासर बताते हैं कि उन्होंने जो सपना देखा था, वह आज पूरा हो रहा है. उनके ड्रेस बैंक के वर्तमान में 800 से ज्यादा वेडिंग कपड़े हैं. जिनकी मार्केट कीमत 5,000 से 50,000 तक है. ये कपड़े किसी भी धर्म, समुदाय और जाति के गरीब फैमिली के लिए है. नासर को केरल के अलावा पड़ोसी राज्य कर्नाटक और तमिलनाडु से भी मदद मिलती है. इसके अलावा UAE और सऊदी अरब में रहने वाले भारतवंशी भी इस काम में उनकी मदद कर रहे हैं.
कैसे गरीब फैमिली तक पहुंचती है ड्रेस
ऐसी फैमिली जिनके पास बेटियों की शादी के लिए कपड़े नहीं है. उनके पास इन्हें खरीदने पैसे भी नहीं है वे सोशल मीडिया, फोन या डायरेक्ट भी ड्रेस बैंक से संपर्क कर सकते हैं. वो कहीं से भी बैंक पहुंचकर अपनी पसंद के कपड़े ले सकते हैं. इसके लिए कोई भी चार्ज नहीं किया जाता. अगर किसी फैमिली से कोई ड्रेस बैंक नहीं पहुंच सकता तो उसके घर तक कपड़े पहुंचाए जाते हैं और कभी कपड़े वापस भी नहीं मांगे जाते. उनसे अपील की जाती है कि वे दूसरे जरूरतमंद परिवारों की मदद करें.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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