शरीर में आयरन की कमी एनीमिया (खून की कमी) का शिकार बनाने के लिए काफी होती है और महिलाओं को इसका ज्यादा खतरा होता है. आयरन हीमोग्लोबीन पैदा करने के लिए जरूरी है. ये खून के लाल कोशिकाओं का एक प्रोटीन है जो ऑक्सीजन को शरीर के अन्य अंगों तक पहुंचाता है. इसलिए इसके न होने से मसल्स और टिश्यू अपने काम अंजाम नहीं दे पाते. आयरन की कमी होने पर शरीर मुनासिब मात्रा में हीमोग्लोबीन पैदा कर नहीं पाता है. आप आयरन की कमी के लक्षणों को जान सकते हैं, जो ज्यादा पेचीदगी से बचाने में मददगार साबित होंगे.
बेहद थकावट- ये आयरन की कमी का सबसे आम लक्षण है. उसकी वजह ये है कि आयरन की कमी से हीमोग्लोबीन बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है. जब उस प्रोटीन की कमी होती है, तो मसल्स और टिश्यू कम ऑक्सीजन की आपूर्ति से थकावट के शिकार हो जाते हैं. रोजमर्रा के कामों को करने पर भी थकावट होने लगती है. ऐसे लोगों को कमजोरी के साथ ऊर्जा में कमी, ध्यान लगाने में मुश्किल और काम करना दुश्वार हो जाता है.
दिल की धड़कन प्रभावित होना- दिल की अनियमित धड़कन भी आयरन की कमी का एक और लक्षण हो सकता है. हीमोग्लोबीन की सतह में कमी के चलते दिल को ज्यादा काम करना पड़ता है. जिससे दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है या ऐसा महसूस होता है कि दिल बहुत तेज धड़क रहा है. गंभीर मामले में हार्ट फेल्योर का खतरा भी बढ़ जाता है. इसलिए अगर आपको दिल की समस्याओं का पता है, तो जरूरी है कि आयरन लेवल को चेक कराएं क्योंकि आयरन की कमी मौजूदा दिल की समस्याओं को खराब कर सकती है.
सिर चकराना और सिर दर्द- आयरन की कमी के नतीजे में सिर दर्द आम हो जाता है. उसकी वजह दिमाग तक ऑक्सीजन का पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंचना है. ये दबाव आधे सिर दर्द की वजह बनती है. आयरन की कमी के शिकार लोगों को सिर हल्का होने या चकराने का एहसास भी हो सकता है. उसकी वजह हीमोग्लोबीन की सतह में कमी होती है.
मुंह और जुबान की सूजन- आयरन की कमी को पहचानने में जुबान भी मदद दे सकती है. अगर सूजन, खराश या उसकी रंगत प्रभावित हो, तो ये भी आयरन की कमी का संकेत है. आयरन की कमी से खून के लाल कोशिकाओं का प्रोटीन मायोग्लोबीन लेवल कम पैदा होता है. मायोग्लोबीन जीभ बनानेवाली मांसपेशी की सेहत की मदद करता है. आयरन की कमी के नतीजे में उसकी सतह प्रभावित होती है जिससे लोग जुबान की सूजन और खराश का शिकार हो जाते हैं.
आयरन की कितनी जरूरत- आम तौर पर 19 साल से 50 साल के बीच महिलाओं को प्रति दिन 18 मिलीग्राम आयरन की जरूरत होती है. हालांकि, प्रेगनेन्ट महिलाओं को उसकी मात्रा बढ़ाकर 27 मिलीग्राम इस्तेमाल करना चाहिए. अगर स्तनपान करानेवाली महिला है, तो उसे मात्र 9 मिलीग्राम की जरूरत होगी. 50 साल से ऊपर की महिलाओं को रोजाना सिर्फ 8 मिलीग्राम आयरन चाहिए. लक्ष्य हासिल करने का सबसे बेहतर स्रोत दाल, पालक, बीफ, नट्स, चिकन और काबुली चना है.
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