कम रोशनी में पढ़ना और काम करना कितना सही, जानें एक्सपर्ट के अनुसार
कम रोशनी वाली लाइटिंग का चलन तेजी से बढ़ रहा है. चाहे पब्लिक प्लेस हो या निजी स्पेस, हर जगह धुंधली लाल, नीली या हरी रोशनी को पसंद किया जा रहा है.लेकिन कम रोशनी में काम करना कितना नुकसानदायक है जानें?
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आजकल कम रोशनी वाली लाइटिंग एक फैशन बन गई है. बार, रेस्टोरेंट, होटल सभी में धुंधली लाल या नीली रोशनी वाली लाइटें लगाई जा रही हैं. लोग अपने घरों में भी कम रोशनी वाले बल्ब और लाइटें लगाना पसंद कर रहे हैं. यह माहौल को रोमांटिक और आकर्षक बनाता है. इसका मुख्य कारण यह है कि कम रोशनी एक शांत और सुखद माहौल देता है. जो आंखों के लिए आरामदायक होती है, लेकिन कम रोशनी में काम करने और पढ़ने से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में ...
विशेषज्ञों का मानना है कि कम रोशनी में लंबे समय तक काम करने से आंखों पर दबाव पड़ता है, जिससे आंखों की मांसपेशियां थक जाती हैं. यह आंखों को जलन, सूखी महसूस करने और धुंधला दिखाई देने जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है. दीर्घकालीन प्रभावों में नेत्र तनाव, मोतियाबिंद और अन्य गंभीर बीमारियां शामिल हो सकती हैं.
नकारात्मक प्रभाव होता है
कम रोशनी कई लोगों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है. यह चिंता, अवसाद और भावनात्मक गिरावट का कारण बन सकती है. पर्याप्त प्रकाश न केवल हमारे शरीर को जागृत करने में मदद करता है, बल्कि हमारी मूड और समग्र मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारता है.
नींद सही नहीं आती
कम रोशनी में काम करने से नींद के चक्र में भी बाधा आ सकती है. प्राकृतिक प्रकाश हमारे शरीर के चक्र को संतुलित करने में मदद करता है, और इसकी कमी से नींद न आने की समस्या हो सकती है. विशेषज्ञ यह भी सलाह देते हैं कि काम करने के स्थान पर उचित प्रकाश व्यवस्था होनी चाहिए. यदि आप रात के समय काम करते हैं, तो आपको ऐसे लाइट का इस्तेमाल करना चाहिए जो आंखों पर ज्यादा जोर न डालें.
बैक पेन होना
कम रोशनी में काम करते समय हम जो भी कर रहे होते हैं, उसे साफ तौर पर देख पाना मुश्किल हो जाता है. इसी वजह से जब हम कमरे में कम रोशनी होती है, और हम किसी लिखाई कर रहे होते हैं, तो पेन या पेंसिल की नोक ठीक से दिखाई नहीं देती. या कोई काम करते हैं तो हमें झुक कर देखना पड़ता है इस वजह से बैठने का सही मुद्रा न बन पाने से पीठ, गर्दन और कंधों में दर्द और थकान महसूस होने लगती है.
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