नींद की कमी आपकी परफॉर्मेंस को कर सकती है प्रभावित: रिसर्च
नींद की कमी से ना सिर्फ आपकी सेहत पर फर्क पड़ता है बल्कि आपकी परफॉर्मेंस भी खराब होती है. जानें, क्या कहती है ये नई रिसर्च.
नई दिल्लीः हाल ही में स्लीपिंग पैटर्न और परफॉर्मेंस को लेकर रिसर्च की गई. रिसर्च में बताया गया कि कैसे नींद का संबंध आपकी परफॉर्मेंस से है. जानें, कैसे की गई ये रिसर्च.
शोधकर्ताओं का कहना है कि नींद की कमी जितना आप सोचते हैं, उससे भी कहीं ज्यादा प्रभावित करती है. नींद ठीक से पूरी ना होने से प्लेसमेंट में असर पड़ता है.
अमेरिका के मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्च शोधकर्ता किम्बरली फेन का कहना है कि हमारे शोध से पता चला है कि नींद की कमी प्लेसमेंट की गड़बड़ियों को दोगुना बढ़ा देती है और आपके फोकस को तीनगुना कम कर देती है, जो कि बेहद चौंकाने वाला है.
नींद पूरी ना कर पाने वाले व्यक्तियों को अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि वे जो भी कर रहे हैं कोई बड़ा ब्लंडर ना हो. शोधकर्ताओं का कहना है कि नींद की कमी के कारण व्यक्ति अपने काम पर फोकस नहीं कर पाता और उससे गलतियां होने का खतरा बरकरार रहता है.
एक्सपेरिमेंटल साइक्लॉजी जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने 138 लोगों को शामिल किया जिसमें से 77 लोगों को सारी रात जगाया गया और 61 को सोने के लिए भेज दिया.
सभी प्रतिभागियों को अगले दिन दो अलग-अलग तरह के दिमाग लगाने वाले काम दिए गए. जो लोग रात को जगे थे उनमें से आधों से सुबह और आधों से शाम को काम करवाया गया. इसके बाद देखा गया कि दोनों ग्रुप्स के प्रतिभागियों का काम कैसा था. ये भी देखा गया कि नींद की कमी ने इनके प्रदर्शन को कैसे प्रभावित किया.
रिसर्च के नतीजों में देखा गया कि जो लोग रातभर नहीं सोए थे उनसे जब सुबह काम करवाया गया तो उनके काम में 30 फीसदी तक की गलतियां थी. साथ ही ये भी देखा गया कि रात भर जगे लोगों से जब शाम को काम करवाया गया तो उन्होंने 15 फीसदी तक गलतियां की थीं.
शोधकर्ताओं ने कहा कि कुछ ऐसे काम होते हैं जो ऑटो-पायलट पर कर सकते हैं, उनमें नींद की कमी से काम प्रभावित नहीं होता. शोधकर्ताओं ने कहा कि ऐसे बहुत से काम हैं जिनमें दिमाग नहीं लगता लेकिन नींद की कमी से वे भी प्रभावित हो सकते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि कुछ लोग नींद पूरी ना होने के बाद भी अच्छा काम कर लेते हैं लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत ही कम है.
ये खबर रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.