पिछले 3 से 4 दशकों में पुरुषों की औसत स्पर्म संख्या और गुणवत्ता वैश्विक स्तर पर चिंताजनक रूप से कम हो गई है. वर्तमान में 20 पुरुषों में से 1 को प्रजनन से जुड़ी विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. बढ़ती हुई संख्या के पीछे पर्यावरण फैक्टर को जोड़ा जा सकता है जो किसी के एंडोक्राइन संतुलन को बाधित करता है.
नोएडा के एक अस्पताल में एसोसिएट डायरेक्टर- फर्टिलिटी, डॉक्टर श्वेता गोस्वामी का कहना है, "मोटापा और पिता बनने की प्रवृत्ति में देरी के तेजी से बढ़ते मामले भी बड़े फैक्टर रहे हैं. ये समझना जरूरी है कि पुरुष बांझपन की वजह अलग-अलग हो सकती है."
वर्तमान महामारी का पुरुष प्रजनन पर प्रभाव
महामारी की शुरुआत से दुनिया भर के विशेषज्ञ खतरनाक वायरस के स्रोत, प्रभाव का पता लगाने में जुटे हैं. हालांकि, कुछ नई सच्चाइयां सामने आई हैं, लेकिन वायरस और उसके साइड-इफेक्ट्स के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए रिसर्च अभी भी जारी है. डॉक्टर बताती हैं कि बढ़ते हुए सबूत ने पुरुष बांझपन पर वायरस के नकारात्मक प्रभाव का संकेत दिया है. 2021 के जनवरी में प्रकाशित एक रिसर्च से पता चलता है कि मानव प्रजनन सिस्टम को कोविड-19 से संभावित तौर पर खतरा हो सकता है.
उसके अलावा, सीमेन की मात्रा, स्पर्म की गतिशीलता, स्पर्म एकाग्रता, स्पर्म की संख्या में महत्वपूर्ण हानि हो सकती है. डॉक्टर कहती हैं, "पुरुष प्रजनन पथ पर वायरस के लिए हमला करना साधारण बात है क्योंकि पूर्व के दस्तावेजों से सबूत मिलते हैं कि विभन्न प्रकार के वायरस हैं जो बुरी तरह पुरुष प्रजनन को प्रभावित कर सकते हैं. स्पर्म गुणवत्ता में वैश्विक गिरावट को देखते हुए वायरस ने अतिरिक्त चिंता पैदा कर दिया है." हम पुरुष बाझपन से जुड़ी गलत धारणाों को कैसे भूल सकते हैं. विशेषज्ञों ने पुरुष बांझपान से जु़ड़े मिथकों को तोड़ा है. पुरुष बांझपन से संबंधित भ्रांतियां और मिथकों के बारे में जानना चाहिए.
मिथक 1- एक आम धारणा या मिथक है कि बांझपन महिला की समस्या है और पुरुषों से उसका कुछ लेना देना नहीं है. हमारे समाज में वर्षों पुरानी भ्रांति आज भी बरकरार है. लिहाजा, ये समझना है जरूरी है कि बांझपन लिंग विशेष समस्या नहीं है और महिला या पुरुष में से किसी को भी प्रभावित कर सकता है. पुरुष बांझपन मुख्य रूप से स्पर्म की गुणवत्ता और मात्रा पर निर्भर करता है. रिसर्च से पता चला है कि प्रजनन संबंधित मुद्दे के साथ पुरुषों की दो तिहाई आबादी में स्पर्म की कम संख्या या स्पर्म की खराब गुणवत्ता है.
मिथक 2- दूसरी आम धारणा है कि जब बात गर्भधारण का मंसूबा बनाने की हो, तो सिर्फ महिलाओं को अपने स्वास्थ्य की देखभाल की जरूरत होती है. ये पूरी तरह गलत है क्योंकि स्पर्म की गुणत्ता उतना ही महत्वपूर्ण है जितना एग की गुणवत्ता. कई फैक्टर की वजह से स्पर्म की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है.
उसमें अत्यधिक धूम्रपान, अल्कोहल का सेवन, मादक द्रव्यों का इस्तेमाल, खतरनाक केमिकल के संपर्क में आना, चुस्त अंडरवियर का पहनना और सेक्स से फैलनेवाली बीमारी शामिल है. पुरुष बांझपन से संबंधित अधिकतर समस्याएं स्पर्म से जुड़ी होती हैं, इसलिए बेहद जरूरी है कि अपनी रोजाना की रूटीन में स्वस्थ आदतों को शामिल करें.