बचपन से ही बच्चों में डालें सही आदतों की नींव, बड़े होंगे तो बनेंगे अनुशासित
बचपन एक ऐसा समय होता है जब बच्चों के दिमाग में सब कुछ छाप जाता है. यही वह समय होता है जब हम उन्हें सही राह दिखा जरूरी होता हैं आइए जानते हैं कि बच्चों बचपन से क्या सीखाना चाहिए..
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बचपन वह समय होता है जब बच्चों का मस्तिष्क किसी भी प्रकार की छाप नहीं पड़ी होती है. यही वह समय होता है जब हम उनमें सही आदतों और मूल्यों को सिखाना चाहिए. बचपन में सीखाई गई आदतें और मूल्य आगे चलकर उनके व्यक्तित्व का आधार बनते हैं. इसलिए बचपन से ही हमें बच्चों को सही राह दिखानी चाहिए और उनमें अच्छी आदतें डालनी चाहिए. यही वह समय होता है जब वे सबसे ज्यादा सीखने की क्षमता रखते हैं. अगर हम इस समय को खो देते हैं तो बाद में बहुत मुश्किल होगा. अगर हम बचपन से ही बच्चों को सही आदतें सिखाते हैं तो वे बड़े होकर एक अनुशासित और जिम्मेदार इंसान बनते हैं.
व्यक्तिगत स्वच्छता
स्वच्छता एक बहुत ही जरूरी चीज है. हमें अपने बच्चों को छोटी उम्र से ही स्वच्छता की आदत डालनी चाहिए. जब बच्चे नियमित रूप से हाथ धोएंगे, नहाएंगे और दांत साफ करेंगे तो उन्हें कई बीमारियां नहीं होंगी. गंदगी से बच्चों को खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं. स्वच्छ रहने से उनका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. साफ-सुथरा रहने से बच्चे खुश भी रहेंगे. दूसरे बच्चे भी उनके साथ खेलेंगे. इसलिए माता-पिता को बच्चों को स्वच्छता की आदत डालनी चाहिए. यह उनके लिए बहुत जरूरी है.
समय प्रबंधन
बच्चों को समय की कीमत पता होनी बहुत जरूरी है. हमें अपने बच्चों को छोटी उम्र से ही समय प्रबंधन सिखाना चाहिए. उन्हें यह समझना चाहिए कि समय का सदुपयोग कैसे करना है. बच्चों के लिए पढ़ाई, खेल और आराम करने का समय अलग-अलग होना चाहिए. पढ़ाई के बाद खेलने का वक्त और उसके बाद आराम का. इस तरह समय प्रबंधित करने से बच्चे अनुशासित बनते हैं. यदि बचपन से ही बच्चे समय की कद्र करना सीख जाएं तो वे एक सफल इंसान बन सकते हैं.
स्वस्थ खान-पान
बच्चों के लिए सही और स्वस्थ आहार बहुत जरूरी है. हमें बच्चों को छोटी उम्र से ही संतुलित भोजन करने की आदत डालनी चाहिए. फास्ट फूड खाने से बच्चों का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है. इसलिए बच्चों को फल, सब्जियां, दालें और अनाज जैसा पौष्टिक आहार देना चाहिए. यह उनके शरीर के लिए जरूरी है. स्वस्थ आहार से बच्चे पढ़ाई में भी ध्यान दे पाएंगे.
सकारात्मक सोच
बच्चों को सकारात्मक सोच सिखाना बहुत जरूरी है. उन्हें हमेशा मुस्कुराते और खुश रहने के लिए कहना चाहिए. बच्चों को यह बताना चाहिए कि वे खुद पर भरोसा रखें और अपनी क्षमता पर विश्वास करें. जब भी कोई समस्या आए, उसे हल करने का प्रयास करें. कभी हार ना मानें. मुश्किलों का सामना करते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें. यही सकारात्मक सोच है जो हर बच्चे को सिखानी चाहिए.
जिम्मेदारी की भावना
उन्हें छोटी-छोटी जिम्मेदारियां दें जैसे कि अपने कमरे की सफाई, पौधों को पानी देना, या पालतू जानवरों की देखभाल. इस तरह की छोटी-छोटी जिम्मेदारियां निभाने से बच्चों में जवाबदेही की भावना का विकास होता है. वे समय की कद्र करना सीखते हैं और अनुशासित बनते हैं. यह उनके चरित्र निर्माण में मदद करता है.
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