Lord Ram Lesson's: देश भर में आज उत्सव का माहौल है क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाते हैं, उनका पूरा जीवन ही एक सीख है. मर्यादा की राह पर चलते हुए भगवान राम ने समाज को सत्य, दया, करुणा, धर्म और कर्तव्य परायणता का पाठ पढ़ाया है. धार्मिक परिपेक्ष्य की बात करें तो भगवान राम को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है. उनका जन्म अधर्म पर धर्म की विजय के लिए हुआ. उनके चरित्र की विशेषताएं उनको अलग बनाती है और उनका जीवन समाज में सफल जिंदगी जीने के लिए प्रेरित करता है. चलिए जानते हैं कि सफल जीवन जीने के लिए भगवान राम के जीवन से किन बातों की प्रेरणा ली जा सकती है. 

 

इन बातों की सीख देता है भगवान राम का जीवन  

 

 

धैर्य

भगवान राम का जीवन सहनशीलता और धैर्य का परिचायक है. मां कैकेयी की आज्ञा पर 14 साल का बनवास काटने के साथ साथ उन्होंने अपने जीवन में कई ऐसे उदाहरण पेश किए जिनसे पता चलता है कि वो गजब के सहनशील थे और उनके अंदर बहुत संयम था. सीता अपहरण के बाद उन्होंने धैर्य और संयम से काम किया और इसके बाद सुग्रीव की सहायता से रावण पर विजय प्राप्त की. 

 

वचन के लिए प्रतिबद्धता

भगवान राम ने अपने पिता के वचन के लिए 14 साल का बनवास सहर्ष स्वीकार कर लिया. प्राण जाइ पर वचन ना जाइ. इस पर खरे उतरते हुए उन्होंने राज पाट की चिंता किए बिना पिता की बात को पूरा करते हुए वन जाना स्वीकार किया और 14 साल तक संन्यासी के रूप में जीवन जीने का प्रण लिया. इससे साबित होता है कि अगर आप किसी चीज के लिए प्रतिबद्ध होते हैं तो उसे हर हाल में निभाना चाहिए. यही एक मर्यादित जीवन की पहचान है. 

 

मित्रता निभाने की क्षमता

भगवान राम ने अपने जीवन में कई तरह के लोगों को मित्र बनाया. वो हर वर्ग और हर उम्र के लोगों के साथ सच्चे मन से मित्रता करते थे और उसको निभाते थे. सुग्रीव के साथ मित्रता निभाते हुए उन्होंने बाली वध किया. निषाद के साथ उनकी मित्रता मिसाल बन चुकी है. इसके साथ साथ विभीषन के साथ मित्रता निभाकर भगवान राम ने उनको लंका का राजपाठ सौंप दिया. उन्होंने हर कदम पर अपने मित्रों का साथ दिया और यही बात सिखाती है कि व्यक्ति को जीवन में मित्र का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए. 

 

नेतृत्व क्षमता

भगवान राम ने वनवास में रहते हुए भी अपने कुशल प्रबंधन के चलते रावण जैसे बड़े राजा को पराजित किया. श्री राम के नेतृत्व का ही परिणाम था कि लंका तक जाने के लिए समुद्र पर पत्थरों से सेतु बन पाया. सुग्रीव की वानर सेना के साथ भगवान राम ने रावण जैसे पराक्रमी राजा का सामना किया और उसे पराजित किया. इससे साबित होता है कि अगर संसाधन कम हो तो भी कुशल प्रबंधन करके विजय हासिल की जा सकती है.

 

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