लेप्टोस्पायरोसिस का आपकी इम्यूनिटी पर खराब प्रभाव हो सकता है. बरसात की इस गंभीर बीमारी ने डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है. डॉक्टरों का कहना है कि महामारी के समय इम्यूनिटी का कमजोर होना घातक हो सकता है. चेस्ट फिजिशियन डॉक्टर हरीश शेफले कहते हैं, "साल में बरसात का मौसम ऐसा समय होता है जब आपको और आपके परिवार को प्रभावित करने वाले जल जनित रोगों से बचने के लिए हर संभव सावधानी की जरूरत होती है."


लेप्टोस्पायरोसिस के कारण


लेप्टोस्पायरोसिस के बारे में उनका कहना है, "मानसून के दौरान इस आम संक्रमण का उन लोगों को ज्यादा खतरा रहता है जो बाढ़ और जल भराव वाले इलाकों में रहते हैं. ये बीमारी 'स्पाइरोकीट' नामक बैक्टीरिया की एक शक्ल के कारण होती है. ये उस वक्त होती है जब इंसानों का संपर्क बैक्टीरिया से संक्रमित जानवरों विशेषकर चूहों, पानी, मिट्टी या संक्रमित मूत्र से दूषित भोजन से होता है. चूहों के मूत्र से प्रदूषित बारिश के पानी या पोखर में चलने और स्किन के कटने या घाव होने से बैक्टीरिया शरीर के अंदर दाखिल होता है. इससे साबित होता है कि जानवर का मूत्र भी आपको बीमार कर सकता है, इसलिए आपको सावधान रहने की जरूरत है."


जानिए लक्षण, पहचान और बचाव


बरसात की बीमारी लेप्टोस्पायरोसिस से निपटने का सबसे अच्छा तरीका निश्चित रूप से रोकथाम है. एमडी चेस्ट और ट्यूबरकोलॉसिस, डॉक्टर सुलेमान लधानी का कहना है, "चूंकि कोविड-19 ज्यादा समस्याएं पैदा कर रही है, इसलिए बेहतर है कि लेप्टोस्पायरोसिस जैसी बीमारियों को रोका जाए, जो इम्यूनिटी को और कमजोर कर सकती हैं. बाढ़ के पानी या दूसरे पानी में जाने से बचें, जूते जैसे सुरक्षात्मक कपड़े पहनें, वाटरप्रूफ पट्टी से कट और घाव को ढंके या उसकी ड्रेसिंग करें. उबालकर या उचित केमिकल ट्रीटमेंट से पानी को पीने के लिए सुरक्षित बनाएं."


बैक्टीरिया की चपेट में आने के बाद संक्रमण की विशेषता फ्लू जैसे लक्षण हैं. पहचान के लिए टेस्टिंग महत्वपूर्ण है. इलाज में आम तौर से एंटीबायोटिक्स शामिल होता है. डॉक्टरों का कहना है कि बीमारी कुछ दिनों से लेकर तीन सप्ताह या उससे ज्यादा तक रहती है. समय पर इलाज जरूरी होता है और बिना इलाज के ठीक होने में महीनों लग सकते हैं.


 सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, बीमारी आम तौर से बुखार और दूसरे लक्षणों के साथ अचानक शुरू होती है. लेप्टोस्पायरोसिस दो चरणों में हो सकती है: पहले चरण यानी बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, डायरिया, उल्टी, ठंड के बाद मरीज कुछ समय के लिए ठीक हो सकता है लेकिन फिर बीमार पड़ जाता है. दूसरा चरण होने पर ये ज्यादा गंभीर होता है और मरीज का किडनी या लीवर फेल्योर या गर्दन तोड़ बुखार हो सकता है.


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