Long Distance Relationship: किसी के साथ रिलेशनशिप में रहना अच्छी बात होती है. आप उस इंसान के साथ अपने रिश्ते को एक नाम दे सकते हैं, जिसके कभी आप सपने देखते थे. लेकिन अगर यही रिलेशनशिप लॉन्ग डिस्टेंस हो तो आप थोड़ा सोचने लगते हैं. किसी भी रिलेशनशिप में आने के बाद अक्सर आप हर वक्त पार्टनर के साथ रहना पसंद करते हैं. हालांकि कई बार परिस्थितियां ऐसी बन जाती है कि आपको न चाहते हुए भी दूर होना पड़ता है यानी कि किसी दूसरे शहर या देश से अपने रिश्ते को आगे बढ़ाना होता है.


ऐसे में लोग लॉन्ग डिस्टेंस का नाम सुनकर ही पहले ही अपने रिलेशनशिप को द एंड कर देते हैं, क्योंकि ज्यादातर लोगों का मानना होता है कि इस तरह एक रिश्ते को चलाना नामुमकिन होता है. मगर असल में ऐसा नहीं है, आप चाहें तो पार्टनर से दूर रहकर भी अपने रिश्ते और प्यार को जगाए रख सकते हैं. यहां तक कि जिन लोगों में लड़ाइयां या मनमुटाव बढ़ने लगता है उन्हें भी दूरियां ही उनके प्यार का एहसास कराती हैं.


अगर आप भी लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप (एलडीआर) के बारे में कुछ ऐसा ही सोचते हैं तो हम आपको बताते हैं ऐसे रिलेशनशिप के वो फायदे जिन्हें जानकर आप थोड़े वक्त के लिए ही सही, लेकिन लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में रहने की जरूर सोचेंगे.


अगर दूरी झेल ली, तो सब झेल लेंगे


अगर आप किसी के साथ रहना चाहते हैं, तो पहले ये सीखें आप उनके बिना रह सकते हैं या नहीं. अगर इस कहावत की मानें तो एलडीआर हर रिश्ते की नींव होनी चाहिए. ऐसा रिश्ता आप दोनों का ‘लव टेस्ट’ भी हो सकता है. चिट्ठी लिखकर, तोहफे भेजकर दिल की बात शेयर करने का फॉर्मूला आज भी कारगर है. और इसकी गुंजाइश एलडीआर में ही है.


बेहतर कम्युनिकेशन स्किल


किसी भी रिश्ते में सबसे अहम होती है दो लोगों के बीच होने वाली बातचीत. क्योंकि ये एक बड़ा जरिया होता है किसी को भी जानने, समझने और परखने का. इसलिए जरूरी है कि आप बातचीत की कला में माहिर हों. जो लोग एलडीआर में होते हैं उनमे ये टैलेंट खुद ब खुद आ जाता है, क्योंकि उनके लिए प्यार जताना और दिल की बात जाहिर करना किसी चैलेंज से कम नहीं.


एक दूसरे के प्रति समर्पण बढ़ता है.


एलडीआर का एक फायदा ये भी है कि ऐसे रिश्ते निभा रहे दोनों लोगों को स्पेस मिलता है. बात-बात पर रोकने-टोकने वाला कोई होता नहीं, इसलिए ज्यादा रूठने-मनाने की बात भी बेईमानी होती है. जो लोग ऐसे रिश्ते को निभाते हैं उन्हें अपनी हद पता होती है. उन्हें इस बात का भी एहसास रहता है कि उनका पार्टनर वक्त या पैसे की कमी के कारण उनसे मिलने नहीं आ पा रहा. ऐसे में दोनों एक दूसरे की जरूरत, कमियों और परेशानियों के साथ खुद को ढालते जाते हैं और रिश्ते में आगे बढ़ते हैं. इन सबके बाद जब दोनों साथ रहने लगते हैं तो छोटी-छोटी परेशानियां मायने नहीं रखती.


फिजिकल लव से भी बढ़कर होता है ऐसा रिश्ता


अपने पार्टनर को साल में दो-तीन बार ही देख पाना, उदासी के पल में उनका हाथ ना थाम पाने की कसक, खुशी में उन्हें गले ना लगा पाने का मलाल, एलडीआर वालों को हमेशा रहता है. फिर भी अगर दोनों के बीच ऐसा रिश्ता ना सिर्फ कायम है बल्कि दिन ब दिन गहरा होता जा रहा है तो इसका आधार सिर्फ इमोश्नल एलिमेंट है. और ये तो आप भी मानेंगे कि जो रिश्ता बिना फिजिकल लव के टिक गया उसमें हर कमी और चुनौती में भी डटे रहने की कुवत होती है. 


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