बीमारियों के अस्तित्व के बारे में जागरुकता और रोकने के उचित तरीके की जानकारी स्वास्थ्य को सुनिश्चित करती है. भारत में ब्रेस्ट कैंसर एक गंभीर समस्या है. ये बीमारी पुरुषों और महिलाएं के लिए पीड़ादायक के तौर पर जानी जाती है. वास्तव में, 28 भारतीय महिलाओं में से एक महिला उसके बढ़ने के खतरे की जद में है. इसलिए, बीमारी के बारे में बात करना और हल तलाश करना जरूरी हो जाता है.


सर्वे में ब्रेस्ट कैंसर पर जागरुकता का खुलासा


ब्रेस्ट कैंसर के लिए जागरुकता पर हाल ही में नानावटी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ने एक सर्वे किया है. सर्वे के जरिए ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों, जांच, स्क्रीनिंग और इलाज के विकल्प में जागरुकता का लेवल समझने की कोशिश की गई. इसके लिए 464 प्रतिभागियों में 85 फीसद महिलाओं को शामिल किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, 42 फीसद प्रतिभागियों को बीमारी, टेस्टिंग के विकल्प और उपलब्ध इलाज के बारे में पर्याप्त ज्ञान की कमी थी.


82 फीसद बहुमत ने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों और तत्काल मेडिकल सहायता लेने को नजरअंदाज नहीं करेंगे. जवाब देनेवालों में 76 फीसद 26-60 साल की आयु वर्ग में थे, 45 फीसद ने या तो ब्रेस्ट कैंसर के बारे में नहीं सुना था या बहुत कम जानकारी थी. दिलचलस्प बात ये है कि जवाब देनेवालों में से 60 फीसद को ब्रेस्ट के स्वतः परीक्षण से मालूम था और 80 फीसद ने उल्लेख किया कि अगर उन्हें कुछ लक्षण दिखा तो मेडिकल सहायता तलाश करेंगे.


अधिकतर भारतीय रोग के खतरे से हैं वाकिफ


अपनी खोज के बारे में बात करते हुए कैंसर विज्ञान के प्रमुख डॉक्टर संजय दुधत ने कहा, "हालांकि, अवाम के बीच ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जागरुकता कम है मगर ये स्वागतयोग्य है कि सर्वे में शामिल लोगों की ज्यादा तादाद शुरुआती लक्षण दिखने पर मेडिकल सहायता हासिल करने के लिए निश्चित थी. ब्रेस्ट कैंसर की घटना 40 साल से नीचे की युवा आबादी की तरफ मुड़ रही है. शुरुआती पहचान के लिए स्क्रीनिंग कार्यक्रम और उपचार संसाधनों के विकेंद्रीकरण से ब्रेस्ट कैंसर की मृत्यु को कम किया जा सकता है."


सर्वे से 52 फीसद प्रतिभागियों के क्लीनिकल ब्रेस्ट परीक्षण के खराब जागरुकता का भी खुलासा हुआ. उन्होंने माना कि ब्रेस्ट जांच मैमोग्राफी से किया जाता है. मैमोग्राफी एक एक्स-रे प्रक्रिया है. इससे ब्रेस्ट कैंसर और ब्रेस्ट से जुड़ी अन्य परेशानियों को आसानी से समझा जा सकता है. मैमोग्राफी तकनीक की मदद से ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती चरण की जानकारी मिलती है. जानकारी होने के बाद इलाज आसानी और सही तरीके से किया जाता है. सर्वे में बताया गया कि प्रतिभागियों में 10 फीसद से ज्यादा ने ब्रेस्ट कैंसर का फैमिली हिस्ट्री बताया.


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