कोरोना वायरस महामारी, लॉकडाउन, छंटनी, वेतन में कटौती का प्रभाव खासकर युवाओं में ज्यादा देखा गया है. इसके चलते डिप्रेशन, तनाव और बेचैनी इस साल की सामान्य घटना बन गई है. चुनौतीपूर्ण समय में लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि कैसे इसका सामना किया जाए. हालांकि डाइट और जीवन शैली में सुधार के जरिए डिप्रेशन और बेचैनी को कम किया जा सकता है. इसके अलावा अपने एहसास को करीबी लोगों से साझा करना और खुद को अकेला नहीं बनाना भी मददगार हो सकता है.


डिप्रेशन को कम करने के टिप्स
सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है. विशेषज्ञों के मुताबिक उदासी इसका सबसे प्रमुख लक्षण और प्रदर्शन है. डिप्रेशन की पहचान से पहले उदासी कम से कम दो सप्ताह तक बरकार रहनी चाहिए. इसके साथ एनेडोनिया जुड़ जाए तो सुखद अनुभूति का एहसास या दिलचस्पी गायब हो जाती है.


डिप्रेशन के अन्य लक्षणों में गैर इरादतन वजन का कम होना और भूख में कमी होता है. इसके अलावा अनजाने में वजन और भूख का बढ़ना भी शामिल होता है. बहुत ज्यादा सोना, बहुत कम नींद, काम की इच्छा का कम होना, कमजोर एकाग्रता और अनिश्चितता भी डिप्रेशन के लक्षणों की पहचान है. अगर ये लक्षण दो सप्ताह तक बने रहते हैं तो डिप्रेशन की समस्या का व्यवस्थित और प्रभावी तरीके से सामना करना चाहिए.


कुछ टिप्स हो सकते हैं मददगार
डिप्रेशन का असर हर शख्स पर अलग-अलग तरीके से होता है. सबसे पहले अपने लक्षणों को थेरेपिस्ट की मदद से समझें. लक्षणों को जानकर आनेवाले खतरे के प्रति सचेत रहने में मदद मिलेगी. जब आप खतरों के प्रति चौकन्ना हो जाएंगे तब सुरक्षात्मक उपाय और जरूरी मदद मांग सकते हैं.


मदद मांगने में संकोच न करें
डिप्रेशन पर जब बॉलीवुड की नामी गिरामी हस्तियां सार्वजनिक तौर पर बात करने के लिए तैयार हैं तो आप क्यों नहीं हो सकते. अवसादग्रस्त विचारों के साथ दूसरों पर बोझ नहीं बनना किसी के लिए सामान्य बात है. लेकिन मदद नहीं मांगना फायदा के बजाय नुकसान ज्यादा पहुंचा सकता है. इसलिए दोस्तों, परिजनों से अपने एहसास को साझा करें और खुद को तन्हाई में कैद न रखें. दूसरों से बात करने पर आपके मन का बोझ हल्का होगा.


अपने इलाके के किसी अच्छे थेरेपिस्ट के बारे में जानकारी के लिए लोगों से बात करें. उसके बाद इलाज पर पैसा खर्च करें. इससे आपको बेहतर फैसला लेने की शक्ति मिलेगी. साथ ही तीसरे पक्ष का नजरिया भी जानने का मौका मिलेगा.


खुद को अलग-थलग न करें
अगर रूम से बाहर नहीं निकलने का मन कर रहा है तो परिजनों, दोस्तों से बात करें. उन्हें अपने घर पर बुलाएं. खुद को रूम से बाहर निकलने के लिए प्रेरित करें. अपने आपको अकेला कर लेने से स्थिति और बिगड़ सकती है. लाचार, बेबस, अयोग्य और नाउम्मी का एहसास पैदा हो जाएगा. ऐसी स्थिति में संगीत सुनना या टीवी देखना मुफीद हो सकता है. जिससे आपको खुशी मिले या जिस काम के करने से आपका मन हल्का बने वही काम करें. इस तरह डिप्रेशन के लक्षणों को कम किया जा सकेगा.


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