हमारे देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा मिडिल क्लास से है और हर मिडिल क्लास परिवार में कुछ नियम, कायदे, कानून और आदतें लगभग कॉमन होती हैं.अगर आपका जन्म किसी मिडिल क्लास परिवार में हुआ है तो हम आपके साथ मिडिल क्लास लोगों की कुछ मज़ेदार बातें शेयर करते हैं, जो शायद आपकी फैमिली से भी रिलेटेड होंगी.

 

बिजली बचाना

वैसे तो बिजली हर कोई बचाता है पर कमरे में कोई ना होने पर लाइट-पंखा बंद कर देना और कमरा ठंडा हो जाने पर एसी बंद कर देना, ये कुछ बेहद आम आदतें हैं जो हम सभी ने मिडिल क्लास परिवारों में देखी जाती हैं. अगर भूलकर लाइट बंद नहीं हुई तो परिवार के बड़े लोग सुना सुना कर जान ले लेते हैं.

 

बाहर से खाना मंगवाने की क्या ज़रूरत

मिडिल क्लास घरों में अक्सर आपने मम्मी को ये कहते हुए ज़रूर सुना होगा कि ' बाहर से खाना मंगवाने की क्या ज़रूरत मैं घर पर ही बना लेती हूं.' आज भी मिडिल क्लास घरों में त्यौहारों के लिए नाश्ता और मिठाई घर पर बनाए जाते हैं और कहीं सफर पर जाते वक्त भी खाना घर से बना कर ले जाया जाता है. 

 

घर पर कोई नहीं है

आपको याद होगा कि बचपन में घर पर अगर कोई ऐसा व्यक्ति आ जाए जिनसे घर के बड़े मिलना नहीं चाहते तो बच्चे को भेजकर कहलवा देते हैं कि आज घर में कोई नहीं है. आज भी ये आदत लोगों में शामिल है.

 

हर बात पर मन्नत

बिना मन्नत के मिडिल क्लास फैमिली में कुछ काम हो जाए ऐसा हो नहीं सकता. फिर चाहे बेटी या बेटे की शादी हो, जॉब लगना हो, इंक्रीमेंट होना हो, घर खरीदना हो आदि जैसी चीजों पर मन्नत जरूर मांगते हैं. इसके बिना मिडिल क्लास फैमिली कोई काम नहीं बनता.

 

बेड के गद्दे के नीचे पॉलीथीन रखना 

मिडिल क्लास फैमिली के लोग अच्छी क्वालिटी की पॉलीथीन को बेड के गद्दे के नीचे संभाल कर जरूर रखते हैं ताकि वक्त जरूरत पर इसका यूज हो सके.

 

बड़े बच्चों के कपड़े छोटों को पहनाना

अगर आप मिडिल क्लास परिवार में पले बढ़े हैं तो आपको पता होगा कि बचपन में आपकी मम्मी हमेशा आपके लिए 2-3 साइज़ बड़े कपड़े ही खरीददती थीं या फिर बड़े भाई या बहन के कपड़े( जो उनको छोटे हो गए हैं) उनके छोटे भाई बहन को पहनाया जाता था. आज भी ये परंपरा मिडिल क्लास फैमिली में कायम है.

 

बर्तन खाली लौटाए नहीं जाते

मिडिल क्लास परिवार में पड़ोसी के घर से अगर कुछ खाने का सामान आ जाए तो उनको बर्तन खाली नहीं दिया जाता बल्कि कुछ न कुछ रख कर दिया जाता है.

 

मेहमानों के लिए अलग क्रॉकरी

भारतीय परंपरा में अतिथि देवो भवः कहा गया है. अर्थात घर आए मेहमान भगवान तुल्य ही हैं और इसलिए हर भारतीय घर में आने वाले मेहमान की बहुत ही आवभगत की जाती है और उनकी आवभगत के लिए हम अपने आम दिनों के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करतीं, बल्कि खासतौर पर क्रॉकरी यूज करती हैं. ये ऐसे चीज है जो कभी नहीं बदल सकती.

 

शीशियों और दूसरे डिब्बों का इस्तेमाल

हम सभी ने अपनी मम्मियों को पुरानी चीजों को रीसायकल और रीयूज़ करते देखा है फिर चाहे जैम की शीशियों और दूसरे डिब्बों को धो कर उनमें अचार और दूसरी चीज़ें रखना हो या फिर पुराने कपड़ों से पोछा बनाना आदि. आज भी मिडिल क्लास परिवार में लोग इसे फॉलो करने में पीछे नहीं है क्योंकि आज ये ट्रेंड बन चुका है.