नई दिल्लीः हाल ही में एक नई खोज की गई है जिसके जरिए पुरुषों में इंफर्टिलिटी की समस्या के बारे में आसानी से पता लगाया जा सकता है. इतना ही नहीं, इस जांच में सामान्य जांच जितना एक साल या उससे अधिक का समय नहीं लगेगा. चलिए जानते हैं इस नई तकनीक के बारे में.



हाल ही में एक रिसर्च के दौरान पुरुषों में इंफर्टिलिटी की समस्या की स्क्रीनिंग का एक विश्वसनीय तरीका पाया गया जिससे ये आसानी से पता लगाया जा सकता है कि मरीजों के लिए कौन सा उपचार विकल्प सबसे अच्छा काम करेगा.

वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी की एक इंटरनेशनल टीम के फर्टिलिटी बॉयोलॉजिकल स्पेशलिस्ट माइकल स्किनर और उनकी टीम ये खोज की है. खोज में पाया गया कि इंफर्टाइल पुरुषों में उनके शुक्राणु डीएनए से जुड़े एपिगेनेटिक बायोमार्कर के पहचानने योग्य पैटर्न में हैं जो फर्टाइल पुरुषों में मौजूद नहीं हैं.

शोधकर्ताओं ने इंफर्टाइल रोगियों के बीच एपिजेनेटिक बायोमार्कर की भी पहचान की, जिन्होंने हार्मोन थेरेपी की प्रतिक्रिया दी. ये तकनीक इंफर्टाइल लोगों के इलाज में मदद कर सकती है.

इस तकनीक के माध्यम से जो पुरुष स्वाभाविक रूप से बच्चों को जन्म देने में असमर्थ है उनकी आसानी से मदद की जा सकती है. आमतौर इंफर्टाइल पुरुषों के इलाज में बहुत लंबा समय लगता है. मौजूदा इलाज में पुरुषों के शुक्राणु की मात्रा और गतिशीलता का आकलन किया जाता है लेकिन इस तकनीक से सब कुछ बहुत आसानी से और जल्दा हो जाएगा.

स्किनर ने इस तकनीक से संबंधित नेचर: साइंस रिपोर्ट पर एक रिसर्च प्रकाशित की. स्किनर ने कहा, "पुरुषों में इंफर्टिलिटी की समस्या दुनिया भर में बढ़ रही है. इतना ही नहीं, प्रजनन स्वास्थ्य और बीमारी में महत्वपूर्ण भूमिका के रूप में पहचाना जाता है. लगभग 20 प्रतिशत पुरुषों को जहां इनफर्टिलिटी की समस्या होती है और इसका कारण भी नहीं पता चलता, उन्हें बच्चे पैदा करने के लिए इनविट्रो फर्टिलाइजेशन की आवश्यकता होती है. इन पुरुषों को आमतौर पर आईवीएफ के लिए सिफारिश किए जाने से पहले एक साल या उससे अधिक समय के लिए अपने साथी के साथ बच्चा पैदा करने की कोशिश करने के लिए कहा जाता है.

शोधकर्ताओं को पिछले शोध से पता था कि शुक्राणु डीएनए से जुड़े मिथाइल अणुओं के समूहों में पुरुष इंफर्टिलिटी और परिवर्तन के बीच एक संभावित लिंक है जो कुछ जीनों को नियंत्रित करता है. इसकी पुख्ता जांच के लिए शोधकर्ताओं ने रिसर्च की. रिसर्च में पाया कि सभी इंफर्टिलिटी की समस्या से गुजर रहे पुरुषों के पास एक विशिष्ट बायोमार्कर था जो फर्टाइल पुरुषों ने नहीं किया.

वैज्ञानिकों ने इंफर्टाइल रोगियों के बीच एक और बायोमार्कर की पहचान की, जिसका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है कि हार्मोन थेरेपी उपचार के लिए कौन उत्तरदायी होगा.

ये खबर रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.