कोरोना के चलते विश्व के कई देशों में लगे लॉकडाउन प्रभाव ध्वनि प्रदूषण (नाइज पॉल्यूशन) पर भी देखने को मिला है. माना जा रहा है कि इससे पहले कभी ध्वनि प्रदूषण कभी इतना कम नहीं हुआ. वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस महामारी के दौरान दुनिया भर में साइज्मिक( भूकंपीय) स्टेशनों से शोर के स्तर को कम होने का प्रमाण मिला है. वैज्ञानिकों के अनुसार, उन्होंने इस महामारी के कारण पृथ्वी पर एक अनयूजअल साइलेंस खोजी है.
चीन से निकली वेव के रूप में
साइज्मिक मैप में यह साइलेंस चीन से होती हुई वेव के रूप अन्य देशों में जाती दिखती है. यह मैप यातायात, उद्योगों और ह्यूमन गेदरिंग से होने वाले शोर को रिकॉर्ड करते हैं. इस स्टडी के लिए वैज्ञानिकों ने विश्व के 117 देशों में फैले 268 साइज्मिक सेंसर के नेटवर्क से डेटा रिकॉर्ड किया. वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में डेटा का विश्लेषण करने पर पाया कि हाइ फ्रीक्वेंसी की साउंड कोरोनावायरस महामारी से प्रभावित देशों में 50 प्रतिशत या उससे अधिक डाउन हो गई.
न्यूयॉर्क में सबसे ज्यादा गिरावट
दुनियाभर में शोर प्रदूषण में सबसे बड़ी गिरावट न्यूयॉर्क और सिंगापुर में देखी गई थी. स्कूल, कॉलेजों और अन्य संस्थानों के आसपास साइज्मिक रिकॉर्डिंग कम थी. छुट्टियों के दौरान अक्सर जो गिरावट देखी जाती है, उससे यह गिरावट 20 फीसदी अधिक थी. इस स्टडी पर सबसे पहले लिखने वाले थॉमस लेकोक ने कहा कि ऐसी साइलेंस पहले कभी नहीं देखी गई. इस साइज्मिक डेटा के जरिए आगे भी स्टडी की जा सकती है.
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