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नोटबंदी: वेडिंग सीजन का मजा हुआ किरकिरा, हर ओर है सूनापन!
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नईदिल्ली: नोटबंदी को आज 11 दिन हो गए हैं लेकिन बैंकों के बाहर लाइनें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. बेशक, बैंकों के बाहर लंबी कतारें हैं लेकिन इस नोटबंदी के कारण बाजारों की चमक फीकी पड़ गई हैं. एक ओर जहां वेडिंग सीजन में बाजार भरे रहा करते थे अब इन बाजारों में सूनापन आ गया है. इस संबंध में एबीपीन्यूज के संवाददाताओं ने कई कारोबारियों से बातचीत करके जाना उनके बिजनेस का हाल. जानिए, कारोबारियों की जुबानी, उनके दर्द की कहानी.
सैलून
महिला या पुरुष सभी को किसी ना किसी काम से सैलून जाना होता है. अब शादियों का सीजन चल रहा है तो सैलून में भीड़ होना आम बात है. लेकिन नोटबंदी ने शादियों की चमक को फीका कर दिया है. मयूर विहार के यूनिसेक्स सैलून ‘स्टेला’ की ओनर रेनू मेस्सी का कहना है कि जहां इस समय लोग वीकली और मंथली ब्यूटी सेशेंस लेते थे अब वो सब एकदम बंद हो गया है. शादियों के कारण जो जरूरी काम है लोग बस वही करवाने आते हैं. रेनू तो कार्ड स्वैप से अपना सैलून चला रही हैं लेकिन मोहन नगर की संध्या सिंह ने अपने पार्लर पर कोई इफेक्ट ना पड़े इसके लिए पेटीएम सुविधा कर ली है. फिर भी इनके यहां महिलाएं इस समय बहुत कम आ रही हैं. वहीं साकेत के सौंदर्य ब्यूटी सैलून के ओनर राम सूरत का कहना है कि वे तो उधार पर लोगों को ब्यूटी सर्विसिज दे रहे हैं या फिर कार्ड स्वैप करवा रहे हैं.
ड्राईक्लीनर्स
मयूर विहार में मौजूद टिप टॉप ड्राईक्लीनर्स के ओनर पीयूष कुमार का कहना है कि शादी और सर्दियों के मौसम में उनका बिजनेस खूब चलता है. ये उनके बिजनेस का पीक टाइम था लेकिन नोटबंदी के कारण उनका बिजनेस अब सिर्फ 5 पर्सेंट ही चल रहा है. उनको बहुत ज्यादा लॉस हुआ है. लोग कपड़े ड्राईक्लीन के लिए देकर जा रहे हैं लेकिन कैश ना होने की वजह से वापिस नहीं लेकर जा रहे. या फिर उधार पर पूरा बिजनेस चल रहा है. कुछेक लोग पेटीएम से पेमेंट कर देते हैं तो कुछ चैक दे जाते हैं. लेकिन लोग बहुत ही कम आ रहे हैं.
सरोजिनी नगर के बाजार का हाल-
- पर्स बेचने वाला- एबीपीन्यूज के संवाददाता अंकित गुप्ता को पटरी पर लेडीज़ पर्स बेचने वाले ने बताया कि वो भी नोटबंदी से परेशान है. वो 400 रु के बैग बेचता है. लोग 500रूपए देते हैं तो वो अब 100 के नोट कहां से लाए. अब तो 500 नोट भी बंद हो गए. ऐसे में उसने पर्स बेचने ही बंद कर दिए हैं.
- बच्चों के कपड़ों की दुकान- सरोजिनी नगर बाज़ार में अनिल की दुकान है जो बच्चों के कपड़े बेचते हैं. उनकी सेल पर भी 90-92% फर्क पड़ा है.
- सरोजिनी नगर में संजय बजाज की अंडर गारमेंट की दुकान 1977 से है. इनके पास स्वाइप मशीन भी है पर 10-15% ही ग्राहक उससे सामान लेते हैं. 20,000 की बिक्री करते थे पर अब 4 से 5000 की कर रहे हैं.
- लेडीज़ सूट की दुकान- सरोजिनी में अशोक रंधावा लेडीज़ सूट बेचते हैं. शादी ब्याह का मौका है पर ग्राहक नहीं है. सेल के बोर्ड 250, 300, 450 और 600 वाले हटा दिए हैं क्योंकि उतने का सामान लेने वाले ग्राहक आ ही नहीं रहे. 80% बिक्री कम हो गयी है. बाज़ार में लोग हैं ही नहीं, भट्टा बैठा हुआ है.
- करोल बाग के कारोबारियों का कहना है कि हमारी बिक्री पर 60-90% तक फर्क पड़ा है. शू की दुकान के मालिक का कहना है कि सुबह से 1 जूता नहीं बिका. कैश बिक्री 60% से ज़्यादा होती है लेकिन अब कुछ नहीं हो रही. बाहर से व्यापारी आते हैं वो बड़ी करेंसी लाता है पर अब ऐसा नहीं हो रहा. अब एटीएम से भी पैसे निकालने में दिक्कत आ रही है.
- गफ्फार मार्किट में मोबाइल की दुकानदारी भी ठप्प है. दीपक ने भी सुबह से 1 मोबाइल भी नहीं बेचा, बोनी भी नहीं हुई. जो मोबाइल लेने आता है वो 500 1000 का नोट लेकर आता है पर हम मना कर रहे है तो बिक्री हो ही नहीं रही.
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शंभू भद्रएडिटोरियल इंचार्ज, हरिभूमि, हरियाणा
Opinion