Hypertension: हाइपरटेंशन पीड़ित व्यस्कों की संख्या दुनिया भर में पिछले 30 वर्षों के दौरान दोगुनी हो गई है. दि लांसेट पत्रिका में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक, हाइपरटेंशन के मामलों में ज्यादातर बढ़ोतरी का पता कम और मध्यम आमदनी वाले देशों में चला है. शोधकर्ताओं ने 30-79 वर्षीय 100 मिलियन लोगों के ब्लड प्रेशर माप का विश्लेषण किया जिसे तीन दशक के दौरान 184 देशों में लिया गया था. उन्होंने पाया कि 1990 में जहां हाइपरटेंशन पीड़ितों में पुरुषों की अनुमानित संख्या 317 और महिलाओं की संख्या 331 थी, तो वहीं 2019 में हाइपरटेंशन पीड़ितों का आंकड़ा बढ़कर 651 मिलियन पुरुष और 626 मिलियन महिला हो गया.


दुनिया भर में 30 वर्षों के दौरान हाइपरटेंशन की संख्या दोगुनी


शोधकर्ताओं ने बताया कि सस्ती दवा से इलाज में आसानी और पहचान की सुविधा के बावजूद दुनिया भर के हाइपरटेंशन पीड़ितों की करीब आधी संख्या 2019 में अपनी स्थिति से वाकिफ नहीं थी. उन्होंने ये भी बताया कि 62 फीसद पुरुषों और 53 फीसद महिलाओं की स्थिति का इलाज नहीं किया गया.


इम्पीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर और शोधकर्ता माजिद एजाजी ने कहा, "दशकों में दवाइयों और मेडिकल सुविधा की प्रगति के बावजूद हाइपरटेंशन नियंत्रण में वैश्विक प्रगति कम रही है, और हाइपरटेंशन पीड़ितों की बड़ी संख्या बिना इलाज के है." उन्होंने बताया, "हमारे विश्लेषण से खुलासा हुआ है कि हाइपरटेंशन की पहचान और इलाज में अच्छा प्रयास न सिर्फ उच्च आय वाले देशों में है बल्कि मध्यम आमदनी वाले देशों में भी है."


निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इलाज और नियंत्रण खराब


हाई ब्लड प्रेशर का सीधा संबंध हर साल दुनिया भर में होनेवाली 8.5 मिलियन मौत से है और ये स्ट्रोक, इस्केमिक हार्ट रोग, किडनी की बीमारी का प्रमुख जोखिम कारक है. ब्लड प्रेशर को कम करने से स्ट्रोक का जोखिम 35-40 फीसद, हार्ट अटैक का जोखिम 20-25 फीसद और हार्ट के फेल होने का करीब 50 फीसद खतरा कम हो जाता है.


रिसर्च के मुताबिक, 1990 से ज्यादातर देशों में इलाज और नियंत्रण में सुधार आया है, विशेषकर बड़े पैमाने पर उच्च आय वाले देशों जैसे कनाडा, आइसलैंड और दक्षिण कोरिया में सुधार देखा गया, लेकिन, इंडोनेशिया और नेपाल समेत निम्न और मध्यम आय वाले देशों में नहीं के बराबर बदलाव आया है. 


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