वाशिंगटनः बच्चों को ऑनलाइन हमलावरों से सुरक्षित रखने के लिए बनाई गई मोबाइल ऐप्स का असर उलटा भी पड़ सकता है क्योंकि वे माता-पिता और बच्चों के बीच विश्वास को नुकसान पहुंचाती हैं और साथ ही ऑनलाइन खतरों से निपटने में बच्चों की क्षमता को कम करती हैं.


क्या कहती है रिसर्च-
अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा के शोधकर्ताओं ने ऐसे पेरेंट्स पर रिसर्च की जिन्होंने अपने किशोर बच्चों के स्मार्टफोन पर उनके नियंत्रण वाली ऐप्स का इस्तेमाल किया. शोध में यह पता लगाया गया कि क्या ये ऐप्स सच में किशोरों को ऑनलाइन सुरक्षित रखती हैं और किशोर और बच्चे इन ऐप्स का इस्तेमाल करने वाले अपने माता-पिता के बारे में क्या सोचते हैं?


कैसे पेरेंट्स करते हैं इन ऐप्स का इस्तेमाल-
शोधकर्ताओं ने पाया कि बच्चों की आजादी पर शिकंजा कसने वाले माता-पिता के इन ऐप्स का इस्तेमाल करने की संभावना अधिक रहती है. यह रिसर्च अमेरिका में 215 अभिभावकों और किशोरों की जोड़ियों के सर्वे पर आधारित है.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
प्रोफेसर पामेला विस्निव्स्की ने कहा कि हमारे शोध में पता चला कि ज्यादातर पैरेंटल कंट्रोल ऐप्स की मदद से केवल यह नियंत्रित किया जा सकता है कि बच्चे ऑनलाइन क्या कर सकते हैं लेकिन आखिरकार उन्हें ऑनलाइन सुरक्षा देने में ये कुछ खास मददगार नहीं होती.


रिसर्च के नतीजे-
रिसर्च के नतीजों में पाया गया कि इन ऐप्स के जरिए बच्चों को यह लगा कि उनकी निजी जिंदगी में घुसपैठ की जा रही है. इससे उनके और माता-पिता के बीच संबंध खराब होते दिखाई दिए.


ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.