बच्चों की उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनमें कई तरह के बदलाव आते हैं. जब बच्चा छोटा होता है तो उसे सही-गलत की समझ नहीं होती. बिना मां-बाप के वो कुछ कर नहीं पाता लेकिन धीरे-धीर बच्चा सारे काम, सही-गलत की समझ और अपनी जिम्मेदारियां भी समझने लगता है. जब बच्चा टीनएज यानि किशोरावस्था में पहुंचता है तो उसके जीवन में कई तरह के बदलाव आते हैं. इस उम्र में बच्चा कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजर रहा होता है. जवानी में नए रिश्ते में जिंदगी में आते हैं. बच्चों की मानसिकता विकसित होने लगती है. ऐसे में कई बार अगर माता-पिता बच्चे पर ठीक से ध्यान न दें तो  रिश्तों में दूरी आने लगती है. बच्चा अकेला महसूस करता है और कई बार गलत रास्ते पर चलने लगता है. जरूरी है कि टीनएज में माता पिता बच्चे के साथ रहें और परवरिश के दौरान इन बातों का ध्यान रखें.  


1- रिश्ता मजबूत बनाएं- इस उम्र में माता पिता को बच्चे के साथ अपना रिश्ता मजबूत और फ्रेंडली बनाना चाहिए. बढ़ती उम्र में बच्चे को किसी साथी की ज्यादा जरूरत होती है. तब आपको उसका साथी बनना चाहिए. आप बच्चे के साथ शेयरिंग बढ़ाएं जिससे बच्चा आपसे सारी बातें कह सके और आप पर भरोसा कर सके. बच्चे को बचपन की तरह ही जवानी में भी आपके साथ की जरूरत होती है. आप उसका सही मार्गदर्शन करने में मदद करें.


2- मानसिक क्षमता का निर्माण करें- जवानी में बच्चे कई तरह के निर्णय खुद लेना चाहता है. इसलिए आपकी जिम्मेदारी है कि बच्चे के शारीरिक विकास के साथ-साथ उसके मानसिक विकास पर भी ध्यान दें. जवानी चुनौतियों से भरी होती है ऐसे में उसे उन चुनौतियों से निपटना आना चाहिए. आप बच्चे को अच्छा बुरा और सही गलत के बारे में बताएं. उसे ये बताएं कि वो अपनी फीलिंग्स आपसे शेयर कर सकता है. अगर बच्चा तनाव में है तो उसे बचने के तरीके बताएं और उससे दूर कैसे रहें इसके बारे में सिखाएं. 


3- राय का महत्व बताएं- बच्चे यंग एज पर अपने निर्णय खुद लेना चाहते हैं. वो अपने हिसाब से जीना चाहते हैं और इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन उन्हें बड़ों और दूसरे लोगों की राय और उसके महत्व के बारे में भी बताएं. आप बच्चे को ये अहसास दिलाएं कि वो अपने सभी तरह के विचार अपने माता-पिता से कह सकता है. माता पिता का कर्तव्य है कि बच्चे को उत्साही और निडर बनाएं. 


4- बच्चे को स्पेस जरूर दें- आजकल हर किसी को अपना स्पेस चाहिए. इस बात को आप एक पैरेंट होने के नाते जितना जल्दी हो सके समझ लें. खासतौर से टीनएज में बच्चे को स्पेस चाहिए होता है. इस समय बच्चे को ज्यादा समय और आजादी की जरूरत होती है, लेकिन ज्यादातर पैरेंट्स बच्चे को ऐसी आजादी नहीं देते हैं. उन्हें लगता है कि इससे बच्चा बिगड़ जाएगा. हालांकि खुद को समझने, खोजने और जिम्मेदार बनाने का ये एकमात्र तरीका है.


5- जिम्मेदार बनना सिखाएं- बच्चो को टीनएज में जिम्मेदार भी बनाए. उन्हें पढ़ाई के प्रति जिम्मेदारी समझाएं. उन्हें कुछ काम की जिम्मेदारियां सौंप दें. इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो उसके हानिकारक पहलुओं के बारे में भी बताएं. ये डिजिटल युग है तो उन्हें डिजिटल तकनीक की बुराइयों के बारे में भी बताएं. ऑनलाइन खतरों के बारे में भी आगाह करें. 


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