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Parenting Tips :इंटरनेट और डिजिटल जमाने में बदल गई पेरेंटिंग, बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए इन बातों का रखें ध्यान
Parenting : बच्चों का ज्यादातर समय जिस तरह से मोबाइल और इंटरनेट पर बढ़ रहा है, उसमें पैरेंटिंग भी पूरी तरह बदल गई है. इसलिए बच्चों की परवरिश के वक्त कई बातों का ध्यान रखने की जरुरत पड़ने लगी है.
Useful Parenting Tips : आजकल छोटी सी उम्र में ही बच्चों को मोबाइल और इंटरनेट की लत जगती जा रही है. ऐसे में माता-पिता की चुनौतियां बढ़ गई हैं. डिजिटल दौर में जिस तरह से बदलाव हो रहा है उसमें बच्चों की सही ढंग से परवरिश (Upbringing) करना पेरेंट्स के लिए सबसे बड़ा काम है. कम उम्र में बच्चे गलत दिशा में न भटक जाए, डिजिटल युग में उन्हें कैसे बचाएं, गैजेट्स से उनकी दूरी कैसे बढ़ाएं, ऐसे कई सवाल पैरेंट्स के मन में रहते हैं. ऐसे में उन्हें कई जगह सोच-विचार कर आगे बढ़ना चाहिए. इससे बच्चों की आदत भी छूट जाएगी और वे माता-पिता की बात भी मानेंगे. यहां जानें डिजिटल जमाने में बच्चों की परवरिश (Parenting Tips) के कुछ टिप्स...
डांटने-फटकारने से काम नहीं चलेगा
अगर आपका बच्चा आपकी बात नहीं मान रहा है. घंटो मोबाइल पर समय बीता रहा है तो आपका गुस्सा करना और डांटना उन्हें अनुशासन का पाठ नहीं पढ़ा सकता. इसलिए बच्चों को डांटने-फटकारने से बचें. क्योंकि ऐसा करने से बच्चे का स्वभाव भी गुस्सैल हो जाता है. वह अपनी बातें अपने पैरेंट्स से छुपाने लगता है. बार-बार आप गलतियां निकाल उन्हें गलत ठहराने से वे गलत रास्ते पर जा सकते हैं. इसलिए ऐसी कंडिशन में जरुरत है बच्चों से प्यार से बात करने की. उन्हें समझाएं और उनकी गलती बताएं और यह भी कि उन्हें क्या करना चाहिए. यह तरीका सबसे अच्छा भी माना जाता है.
बच्चों को छोटे-छोटे काम का हिस्सा बनाएं
अगर बच्चों को गैजेट्स से दूर रखना है तो उन्हें घर के छोटे-मोटे कामों में उलझाने की कोशिश करें. जब वे इस तरह के काम का हिस्सा बनते हैं तो उनका मन गैजेट्स से दूर हो जाता है. उन्हें लगता है कि फैमिली में उनका भी महत्व है. इस तरह वे ज्यादातर वक्त फैमिली मेंबर्स और अन्य कामों में बिताते हैं और मोबाइल से दूर रहते हैं.
बच्चों की हर बात सुनें और समझाएं
आजकल इंटरनेट पर कई-कई घंटे बिताने के बाद कई बच्चे ऐसे हैं जो साइबर बुलिंग (Cyberbullying ) और साइबर हैरेसमेंट (Cyber Harassment) जैसी परेशानियों से दो-चार हो रहे हैं. हर दिन उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में जब आप उनकी बात सुनेंगे तो वे अपनी फीलिंग्स आपसे शेयर कर पाएंगे और अगर आप उनकी बात नहीं सुनेंगे तो उन्हें लगेगा कि वे अकेले हैं. इसलिए बच्चों से हर दिन बात करें, उनकी समस्या सुनें, उसे सुलझाएं और उन्हें अच्छी चीजों की जानकारी दें.
ऐसी सजा दें, जिससे उन्हें चोट न लगे
अगर बच्चा आपकी बात नहीं सुनता. ज्यादातर वक्त मोबाइल के साथ रहता है. अनुशासन में नहीं रहता तो कभी भी उन्हें मारने-पीटने से बचना चाहिए. ऐसी स्थिति में वे गुस्सैल होते हैं. पैरेंट्स से डरने लगते हैं और उनसे झूट बोलने लगते हैं. इसलिए जब भी आपको बच्चों के पनिशमेंट देनी हो तो ऐसी पनिशमेंट चुनें, जिससे उन्हें चोट न लगे. सजा के तौर पर आप उनके गैजेट्स, मोबाइल ले सकते. चूंकि इस गैजेट्स से उसे बहुत प्यार होता है, इसलिए वह इसे खोना नहीं चाहेगा और आपकी बात भी बन जाएगी.
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