Parenting Advice : जब बच्चा बड़ा होने लगे तो जरुरत है कि एक उम्र के बाद उसे माता-पिता से अलग सुलाना चाहिए. भारत में छोटे बच्चों के लिए पैरेंट्स से अलग रहना काफी कठिन होता है लेकिन एक समय के बाद यह जरूरी हो जाता है. बहुत से पैरेंट्स (Parenting tips) के मन में यह सवाल होता है कि आखिर वह कौन सी सही उम्र है, जब बच्चे को अलग रखा जाना चाहिए. इसका क्या असर हो सकता है और क्या बच्चे पर इसका कोई प्रभाव पड़ेगा. आइए जानते हैं ऐसे ही सवालों के जवाब...

 

बच्चों को अलग सुलाने की जरुरत क्यों

दरअसल, इस सवाल पर हर किसी की अपनी-अपनी राय हो सकती है. हर फैमिली (Family) के रहने का अलग-अलग तरीका होता है. कहीं जॉइंट फैमिली होती है, कहीं अलग-अलग ऐसे में उनके रीत-रिवाज भी अलग-अलग ही होते हैं लेकिन पैरेंट्स ऐसे भी होते हैं, जो चाहते हैं कि सही उम्र में उनका बच्चा आत्मनिर्भर बनना सीखे. वह अकेले रहने या सोने में डरे नहीं. भावात्मक रूप से मजबूत हो और काफी कुछ. इसलिए एक उम्र के बाद जरूरी हो जाता है कि बच्चों को खुद से अलग सुलाया जाए.

 

बच्चे को अलग सुलाने की सही उम्र

एक्सपर्ट का मानना है कि माता-पिता को चाहिए कि वे कम से कम एक साल तक तो बच्चे को अपने साथ ही सुलाएं. इसके बाद उन्हें अपने पास ही अलग बेड पर उन्हें शिफ्ट कर देना चाहिए. जब वह 5 या 6 साल का हो जाए तब उसे अलग कमरे में सुलाएं ताकि उसका डर धीरे-धीरे कम हो और माता-पिता से अलग भी रह सके. ध्यान रहे कि अपने बच्चे को कभी भी अचानक से दूसरे कमरे में शिफ्ट नहीं करना चाहिए.

 

बच्चा आत्मनिर्भर बनेगा तो निडर भी बनेगा

जब कभी ऐसा हो कि आपका बच्चा अलग कमरे में सो रहा है और अचानक से उठकर आपके पास आ जाए. तब आप उसे अपने पास सुलाने से बचें. ऐसी कंडीशन में आप बच्चे के साथ उसके रूम में जाएं और थोड़ी देर वहां सोए ताकि उसके मन से डर निकल जाए. इससे वह धीरे-धीरे अकेले रहने की आदत डाल लेगा. आत्मनिर्भर बन जाएगा और निडर भी. अलग कमरे में सोने के लिए बच्चों का हौसला भी बढ़ाएं.

 

बच्चों को अलग सुलाने की शुरुआत कैसे करें

पैरेंट्स का सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर बच्चों को अलग सुलाने की शुरुआत कैसे की जाए. इसको लेकर न्यूट्रिशनिस्ट और लाइफस्टाइल एक्सपर्ट ल्यूककोटिन्हो ने कुछ दिन पहले ही अपने इंस्टाग्राम पर कुछ टिप्स शेयर किए हैं. जिसमें उन्होंने बताया है कि हर बच्चे की अपनी खासियत होती है. प्यार और सुरक्षा उनकी जरूरत होती है। पैरेंट्स को कभी भी एक दिन अचानक से उन्हें अलग नहीं सुलाने की आदत डालनी चाहिए. जब ऐसा करना हो तब शुरुआत में बच्चे को साथ लेकर सोए. फिर अपने बगल में ही बेड पर सुलाएं और फिर धीरे-धीरे उन्हें अलग कमरा दें. कई बच्चे इतने समझदार होते हैं कि वे खुद ही समझ जाते हैं कि अब उन्हें अलग सोना चाहिए. इसलिए ध्यान रखें कि जब भी बच्चे को अलग रूम में शिफ्ट करें, कमरा उस तरीके से रखें, जैसा बच्चे को पसंद है. इससे वह ज्यादा से ज्यादा समय वहीं गुजारेगा और फिर सोना भी उसे वहीं अच्छा लगने लगेगा.

 

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