कहीं आपका बच्चा भी तो नहीं है स्कूल फोबिया का शिकार? यह है इसके लक्षण और दूर करने का तरीका
स्कूल ऐसी जगह होती है जहां बच्चों को हर समय कुछ न कुछ सीखने को मिलता है. इसके बाद अलग-अलग तरीके से बच्चों का मूल्यांकन किया जाता है कि बच्चा कैसे पढ़, लिख और सीख रहा है.
बीते दो साल से कोरोना महामारी के कारण बच्चों के स्कूल बंद थे. घर पर बैठे-बैठे बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर बहुत बुरा असर पड़ा है. लेकिन, कोरोना के संक्रमण का असर कम होने के बाद देश भर की राज्य सरकार ने बच्चों के स्कूलों को दोबारा खोलने का आदेश दे दिया है. लेकिन, दो साल घर में रहने के बाद कई बच्चे स्कूल अब दोबारा वापस नहीं जाना चाहते हैं. बहुत से बच्चे स्कूल जाने के नाम से खुश हैं लेकिन बहुत से बच्चों में स्कूल जाने को लेकर फोबिया देखा जा सकता है. अगर आपका बच्चा भी स्कूल जाने में कतरा रहा है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. सबसे पहले आप बच्चे के इस स्कूल फोबिया के कारण को समझें और उसे दूर करने के उपाय के बारे में जानें.
स्कूल फोबिया क्या है?
कोरोना महामारी के दौरान लगातार 2 साल से घर पर रहने को मजबूर थे. यह तो हम सभी जानते हैं कि घर के माहौल और बाहर के माहौल में बहुत फर्क होता है. घर में बच्चा एक संरक्षित माहौल में रहता है. वहीं घर की दहलीज से बाहर निकलने के बाद बच्चों को एक अलग अनुभव होता है. स्कूल और घर के माहौल में बहुत बड़ा फर्क होता है. स्कूल में बच्चों को हर दिन नया कुछ सीखने के साथ कई नई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है. इसके साथ ही नए लोगों को साथ घुलने-मिलने में भी बहुत समय लगता है. ऐसे में कई बार बच्चे इस माहौल से डर जाते हैं और स्कूल जाने के लिए मना करने लगते हैं. स्कूल जाने से बचने के लिए बच्चे बुखार, पेट दर्द, उल्टी, दस्त आदि बीमारियों का बहाना बना लेते हैं. बच्चों के इस तरह के डर को मेडिकल भाषा में स्कूल फोबिया कहते हैं. फोबिया का मतलब होता है डर. आमतौर पर स्कूल फोबिया 6 से 15 साल के बच्चे के बीच देखा गया है.
स्कूल फोबिया के महत्वपूर्ण कारण-
1. स्कूल ऐसी जगह होती है जहां बच्चों को हर समय कुछ न कुछ सीखने को मिलता है. इसके बाद अलग-अलग तरीके से बच्चों का मूल्यांकन किया जाता है कि बच्चा कैसे पढ़, लिख और सीख रहा है. ऐसे में कई बार बच्चे इस मूल्यांकन से डर जाते हैं एग्जाम, स्पोर्ट्स डे आदि अन्य गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहते हैं.
2. कई बार बच्चे स्कूल में एकेडमिक समस्याओं से जूझने लगते हैं. कुछ बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं. ऐसे में इस कारण उन्हें बार-बार डांट सुनना पड़ता है. इस कारण बच्चे मानसिक दबाव में स्कूल फोबिया का शिकार हो जाते हैं.
3. स्कूल में बुलीइंग की समस्या आजकल बहुत कॉमन हो गई है. वैसे तो बच्चे बुलीइंग का मतलब नहीं समझते हैं लेकिन कई बार अनजाने में ही सही वह दूसरे बच्चों को उनकी हाइट, वेट, रंग आदि के कारण बुलि करने लगते हैं. इस कारण भी बच्चे कई बार स्कूल जाने से कतराते हैं.
4. कई बार माता-पिता का ट्रांसफर दूसरी जगह हो जाता है. ऐसे में बच्चों को नए स्कूल में जाना पड़ता है. नए स्कूल में नए माहौल और नए बच्चे के साथ तालमेल बिठाने के लिए बच्चों को कई बार बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस कारण भी बच्चे स्कूल के नाम से घबराने लगते हैं.
5. कई बार यह देखा गया है कि स्कूल के छोटे बच्चों को बड़े बच्चे परेशान करते हैं. इस कारण कई बार वह सेपरेशन एंजाइटी का शिकार हो जाते हैं. इसके साथ ही घर में लंबे समय रहने के कारण अपनी मर्जी से वह सोते उठते हैं, पढ़ाई और टीवी देखते हैं. लेकिन, स्कूल में उन्हें सारे काम रूटीन के अनुसार करना पड़ता है. ऐसी स्थिति में भी बच्चों के स्कूल का फोबिया हो सकता है.
स्कूल फोबिया के लक्षण-
अगर आपका बच्चा स्कूल जाते समय अलग-अलग तरह के बहाने बना रहा है तो यह समझ लें कि बच्चा आपका स्कूल फोबिया से ग्रसित है. इसके साथ ही बच्चा स्कूल ट्रांसपोर्ट में बैठने से मना करता है तो ऐसी स्थिति में बच्चा स्कूल फोबिया का शिकार हो सकता है.
स्कूल फोबिया को दूर करने के उपाय-
माता पिता होने के नाते बच्चों को हर तरह की परेशानी से निकालना आपका कर्तव्य है. ऐसे में अगर आपका बच्चा स्कूल फोबिया से ग्रसित है तो सबसे पहले आप इस फोबिया के कारण को समझें. इस बारे में बच्चों से बात करें कि उन्हें स्कूल में किस तरह की परेशानी है. अगर आप बच्चे की इस परेशानी को दूर कर देगें तो वह खुशी से स्कूल जाना शुरू कर देगें. इसके साथ ही बच्चों के स्कूल फोबिया को दूर करने में स्कूल और काउंसलिंग का भी बहुत अहम रोल होता है.
इसके साथ ही आप बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें किसी तरह के रिवॉर्ड देने की बात भी कर सकते हैं. इसके साथ ही इस काम में स्कूल की भी मदद लें. अगर बच्चा फिर भी स्कूल नहीं जाना चाहता है तो आप उसे काउंसलर के पास ले जाकर उसकी काउंसलिंग करवा सकते हैं. इन आसान तरीकों से बच्चे के स्कूल के डर को दूर कर उन्हें दुनिया ता सामना करने के लिए आप मजबूत बना सकते हैं.
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