Swedish Parenting Tips: हंसी-खुशी बढ़ेगा आपका बेबी, 164 साल पुराने ये टिप्स आएंगे बेहद काम
Parenting Tips: हर पैरेंट्स का सपना होता है कि उनका बच्चा हमेशा खुश रहे. ऐसे में ये टिप्स आपके बेहद काम आएंगे.
पैरेंट्स कोई भी हो, वे हमेशा चाहते हैं कि उनका बच्चा बड़ा होकर खुशहाल रहे. स्ट्रॉन्ग बने. स्मार्ट और जमीन से जुड़ा हुआ रहे. लगभग हर पैरेंट्स के दिल में यही ख्वाहिश होती है. गौर करने वाली बात है कि नॉर्डिक देशों को दुनिया में सबसे खुशहाल माना जाता है. ऐसे में हम आपको स्वीडन के 164 साल पुराने खास टिप्स बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप अपने बच्चों को मनचाहे तरीके से बड़ा कर सकती हैं. दरअसल, ये टिप्स स्कैंडिनेवियाई शब्द फ्रिलुफ्टस्लिव के इर्द-गिर्द घूमते हैं, जिसका अर्थ खुली हवा में जीवन होता है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
नेचर से कराएं बच्चों का कनेक्शन
आप चाहती हैं कि आपका बच्चा बड़ा होकर खुशहाल रहे तो उसका कनेक्शन नेचर यानी प्रकृति से जोड़ें. कोशिश करे कि वह दिनभर में कुछ वक्त पेड़-पौधों के बीच में बिताए. इसके लिए आप शेड्यूल तय कर सकती हैं. दरअसल, आजकल के दौर में बच्चों का ज्यादातर वक्त घर के अंदर ही बीत जाता है, जिसके चलते वे मोबाइल, टीवी आदि से ही चिपके रहते हैं. ऐसे में बच्चों के लिए बाहर घूमने का समय तय करें. उन्हें पार्क आदि में घुमाने ले जाएं. बता दें कि स्वीडिश कल्चर में मॉर्निंग और इवनिंग वॉक को काफी महत्व दिया गया है. इस तरह की वॉक और प्रकृति के करीब रहने से बच्चों को सुकून मिलता है और वे शांत रहना सीखते हैं.
उपलब्धता के आधार पर मुहैया कराएं चीजें
यह जरूरी नहीं है कि आप जंगल में कैंप लगाकर ही बच्चों को नेचर के करीब ले जा सकती हैं. फ्रिलुफ्टस्लिव के गोल्डन रूल में साफतौर पर कहा गया है कि बच्चों को प्रकृति के करीब ले जाने के लिए कुछ भी एक्स्ट्रा करने की जरूरत नहीं है. आप उन्हें वे चीजें ही मुहैया कराएं, जो आपके पास मौजूद हैं. इसके लिए एक्स्ट्रा एफर्ट न करें. बच्चे को नेचर से जोड़ना चाहती हैं तो आसपास मौजूद चीजों जैसे बर्ड्स, फूल-पत्ती, तितलियों, गिलहरियों और पेड़-पौधों से ही उन्हें रूबरू कराएं.
मौसम की वजह से खराब न होने दें माहौल
कई बार ऐसा भी हो सकता है कि खराब मौसम या प्रदूषण की वजह से आप बच्चे को बाहर घुमाने न ले जा पाएं, क्योंकि ऐसा करना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में आप बच्चों को मौसम के बदलाव के हिसाब से ढलना सिखा सकती हैं. अगर सर्दी ज्यादा है तो उन्हें अच्छी तरह कपड़े पहनाकर बाहर ले जाएं. बारिश हो रही है तो रेनकोट पहनाकर या छाता ले जाकर उन्हें बाहर घुमाएं. इससे बच्चे मौसम को करीब से महसूस कर पाएंगे.
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