अब दौर बदल चुका है. हर जगह इतना ज्यादा कॉम्पिटिशन है कि आगे रहने की जिद में कोई भी कुछ भी करने के लिए तैयार रहता है. यही हाल पैरेंट्स का भी है. वे अपने बच्चों को किसी से भी पीछे देखना पसंद नहीं करते हैं. इसका असर यह होता है कि जिन गर्मियों की छुट्टियों में पुरानी पीढ़ियां मजे करती थीं, उनमें आज के बच्चों पर कोचिंग क्लासेज करने का प्रेशर बनाया जाता है, ताकि वे किसी से पीछे न रहे. क्या आप भी ऐसे पैरेंट्स की लिस्ट में शामिल हैं? अगर आपका जवाब हां है तो जान लीजिए कि इससे बच्चों को क्या दिक्कतें हो सकती हैं.
बच्चों को भी रेस्ट की होती है जरूरत
गौर करने वाली बात यह है कि जैसे हम अपने ऑफिस से आने या वीकएंड में कामकाज छोड़कर एंजॉयमेंट को प्रेफरेंस देते हैं. उसी तरह बच्चों को भी गर्मियों की छुट्टियों में मस्ती करने और रिफ्रेश होने का मौका मिलना चाहिए. गर्मियों की छुट्टियों में रेस्ट करने से बच्चे की मेंटल और फिजिकल हेल्थ बेहतर होती है और वह पूरी तरह रिफ्रेश होकर स्कूल जॉइन कर पाता है. दरअसल, जब तक स्कूल चलते हैं, तब तक बच्चों पर एकैडमिक और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज का प्रेशर रहता है, जिसके चलते उन्हें रिलैक्स होने का वक्त ही नहीं मिलता. इसके बाद समर वैकेशन में बच्चों को कोचिंग क्लासेज जॉइन कराने का मतलब यह है कि उन पर एक्स्ट्रा बोझ डाल दिया गया.
परिवार के साथ वक्त बिताने का मिले मौका
स्कूल डेज में बच्चों पर पढ़ाई का इतना ज्यादा प्रेशर होता है कि उन्हें अपने परिवार के साथ वक्त बिताने का मौका काफी कम मिल पाता है. ऐसे में गर्मियों की छुट्टियों में ही बच्चों को अपनी फैमिली के साथ वक्त बिताने का मौका मिलता है. समर वैकेशन के दौरान बच्चों के साथ आपको गेम्स खेलने चाहिए. उनके साथ बातचीत करनी चाहिए और घूमने जाना चाहिए. इस तरह की चीजों से बच्चों का फैमिली के साथ बॉन्ड मजबूत होता है. कोचिंग क्लासेज उनके इस क्वालिटी टाइम को बर्बाद कर सकती हैं.
मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है असर
स्कूल डेज के दौरान बच्चों को खुलकर खेलने का वक्त भी नहीं मिलता. ऐसे में समर वैकेशन में उन्हें मनचाहे तरीके से खेलने-कूदने की आजादी मिलती है. इस तरह के खेलने-कूदने से वे सिर्फ मस्ती ही नहीं करते, बल्कि यह उनकी सेहत के लिए भी बेहद जरूरी है. स्कूलिंग के दौरान पढ़ाई-लिखाई के बोझ से बच्चों पर काफी ज्यादा स्ट्रेस रहता है. अगर समर वैकेशन में भी उन पर कोचिंग क्लासेज का प्रेशर बढ़ा दिया जाए तो इसका असर उनकी मेंटल हेल्थ पर पड़ सकता है, जिससे बच्चों को काफी दिक्कत हो सकती है.
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