बच्चों के लिए आत्मविश्वास बहुत जरूरी होता है. अगर वे अपने फैसले खुद लेने लगें, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और वे जीवन में कम कन्फ्यूज होते हैं. पेरेंट्स को चाहिए कि वे अपने टीनएज बच्चों को कुछ फैसले खुद लेने दें. इससे बच्चे जिम्मेदारी समझते हैं और आत्मनिर्भर बनते हैं. जब बच्चे अपने सपनों और ख्वाइशों की उड़ान खुद भरते हैं, तो वे जीवन की रेस में आगे बढ़ पाते हैं. 


क्यों जरूरी है खुद फैसले लेना
टीनएजर्स को अगर अपने जीवन के फैसले खुद लेने दिए जाएं, तो वे अपनी जिम्मेदारी समझते हैं. इससे वे समझदारी और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते हैं. जब बच्चे हर छोटे-बड़े फैसले खुद लेते हैं, तो उन्हें अपने सही-गलत का अनुभव होता है और वे अपनी गलतियों से सीखते हैं. 


खुद के फैसले लेने के तरीके



  • छोटे फैसलों से शुरुआत करें: बच्चों को पहले छोटे फैसले लेने दें, जैसे कि क्या पहनना है, क्या खाना है, या दोस्तों के साथ कैसे समय बिताना है.

  • गलतियों से सीखने दें: बच्चों को गलतियां करने का मौका दें और उन्हें समझाएं कि गलतियां सीखने का हिस्सा हैं.

  • सपोर्ट करें: बच्चों के हर फैसले में उनका समर्थन करें. इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा.

  • प्रशंसा करें: जब बच्चे सही फैसला लें, तो उनकी तारीफ करें. इससे उनका हौसला बढ़ेगा.

  • खुलकर बात करें: बच्चों के साथ खुलकर बात करें. उनकी समस्याएं सुनें और उन्हें गाइड करें, लेकिन अंतिम निर्णय उन्हें खुद लेने दें. 


कॉन्फिडेंट होने के फायदे



  • बेहतर निर्णय लेना: बच्चे सोच-समझकर फैसले लेना सीखते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और वे आत्मनिर्भर बनते हैं. खुद फैसले लेने से वे सही-गलत का अनुभव कर पाते हैं. 

  • कम कन्फ्यूजन: बच्चे अपनी पसंद और नापसंद को समझने लगते हैं, जिससे वे कम कन्फ्यूज रहते हैं और बेहतर फैसले लेते हैं. इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है. 

  • बच्चे जब खुद समस्याओं का सामना करते हैं, तो वे समस्या-समाधान में माहिर हो जाते हैं. इससे उनकी सोचने और सही फैसले लेने की क्षमता बढ़ती है.

  • बच्चे खुद पर भरोसा करना सीखते हैं, जिससे वे आत्मनिर्भर बनते हैं. वे अपने काम खुद कर पाते हैं और दूसरों पर कम निर्भर रहते हैं.