बच्चों का माता-पिता से काफी गहरा संबंध होता है. लेकिन पिता और बेटी के रिश्ते की बात करें तो हर बेटी का रिश्ता अपने पिता से थोड़ा अलग होता है. बेटी और पिता का रिश्ता एक सच्चे दोस्त के जैसा होता है. बेटियां अक्सर अपने पिता से कई चीजें चाहती हैं, जो उन्हें खुश रख सके. अधिकतर लड़कियों की शिकायत होती है कि एक उम्र के बाद वह अपने पिता से उतना नहीं घुल मिल पाती जितना भी बचपन में उनके करीब थी. 

ये चाहती है बेटियां 


बेटियां पिता से उम्मीद करती है कि चाहे बेटी कितनी भी बड़ी हो जाए पिता का प्यार वैसा ही होना चाहिए जैसा बचपन में हुआ करता था. इसके अलावा रिश्तो में समय बहुत मायने रखता है. हर बेटी चाहती है कि उसके पिता थोड़ा समय निकालकर उसके पास बैठकर उससे बातें करें. बेटियां चाहती है कि उनके पापा उन्हें सपोर्ट करें और आख बंद करके उन पर भरोसा करें, पिता अपनी बेटियों के साथ कभी-कभी बाहर खाना खाने जाए. लड़कियां अपने पिता से काफी कनेक्ट रहती है. इसलिए वह अपनी हर बात अपने पिता से शेयर करती है और उम्मीद करती हैं कि उसके पापा खराब वक्त में उसका साथ देंगे. 

ना करें नजर अंदाज 


लड़कियां अपने पिता में फ्यूचर हसबैंड देखती है. वह उम्मीद करती हैं कि आप लड़की के लिए भी अपने जैसा लड़का ढूंढे या फिर उसकी पसंद को आप स्वीकार करें. पिता ने अपनी बेटी की किसी चीज को कभी भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए इससे बेटियों के दिल को ठेस पहुंचती है. बेटियां चाहती है कि उनके पिता उनके लिए एक अच्छे रोल मॉडल बने और उनके जीवन में सही और गलत के बीच में उन्हें अंतर सिखाएं.  बेटियां यह भी चाहती है कि जब उनके पिता बच्ची से नाराज हो जाए और अगर गलती पिता की हो, तो आगे रहकर वह अपनी बेटी से माफी मांगे. बेटियां यह भी चाहती है कि उनके पिता उन्हें सुरक्षित महसूस करवाएं. 

 

जब कभी बेटी कुछ अच्छा काम करें या उपलब्धि हासिल करें तो उनके पिता उन्हें प्रोत्साहन देने के साथ उनके साथ वह पल सेलिब्रेट करें. पिता ने अपनी बेटियों की भावनाओं को समझना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए. इन सबके अलावा एक पिता को अपनी बेटी की हर बात को सुनना और समझना चाहिए, इससे दोनों के बीच अच्छा तालमेल बैठता है. अपनी बेटी की भावनाओं को स्वीकार करें भले ही आप उनसे सहमत ना हो, इससे बेटी की खुशी दोगुना हो जाती है. अपनी बेटी को अपनी गलतियों से सीखने दे और उन्हें सही करने में मदद करें. हर पिता ने अपनी बेटी को स्वतंत्र बनाना चाहिए ताकि जीवन में वह अपना खुद से निर्णय ले सके.

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