बच्चों के लिए दूध बहुत जरूरी होता है क्योंकि इसमें बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं जैसे कैल्शियम, विटामिन डी, और प्रोटीन. ये सभी बच्चों के शरीर को मजबूत बनाने और सही तरीके से बढ़ने में मदद करते हैं. लेकिन हर बच्चे की जरूरत अलग होती है, और सभी दूध एक समान नहीं होते. तो, माता-पिता के लिए यह जानना जरूरी है कि उनके बच्चे के लिए कौन सा दूध सबसे अच्छा है. आइए जानते हैं कि किस उम्र में कौन सा दूध बच्चों के लिए अच्चे होता है..


0 से 6 महीने



  • मां का दूध: इस उम्र में मां का दूध बच्चों के लिए सबसे अच्छा होता है, क्योंकि यह सभी आवश्यक पोषक तत्वों, एंटीबॉडीज, और उचित पोषण का सबसे प्राकृतिक स्रोत है.

  • इन्फैंट फॉर्मूला: अगर माँ का दूध उपलब्ध नहीं हो तो, डॉक्टर की सलाह से इन्फैंट फॉर्मूला एक विकल्प हो सकता है।


6 महीने से 1 साल
इस उम्र में भी मां का दूध या इन्फैंट फॉर्मूला मुख्य आहार होता है, साथ ही साथ ठोस आहार की शुरुआत की जा सकती है.


1 से 2 साल
पूरा दूध (फुल-फैट मिल्क): 1 साल की उम्र के बाद, बच्चों को पूरा दूध दिया जा सकता है. इसमें मौजूद फैट उनके दिमागी और शारीरिक विकास के लिए जरूरी होता है. यदि बच्चे में लैक्टोज इंटॉलरेंस या अन्य कोई एलर्जी हो, तो उन्हें अन्य दूध दे सकते हैं. 


2 साल और उससे ऊपर
स्किम्ड या लो-फैट मिल्क: 2 साल के बाद, बच्चों के लिए फैट की कम मात्रा वाला दूध सुझाया जा सकता है, खासतौर पर अगर वहां मोटापे का जोखिम हो.


जरूरी बातें 
लैक्टोज इंटॉलेरेंस या दूध एलर्जी: बच्चों में अगर लैक्टोज इंटॉलेरेंस या दूध की एलर्जी हो तो, बादाम दूध, सोया दूध, या ओट दूध जैसे विकल्पों पर विचार किया जा सकता है. इन विकल्पों को चुनते समय, यह सुनिश्चित करें कि वे बच्चों की पोषणीय जरूरतों को पूरा करते हैं. हमेशा ध्यान रखें कि बच्चों की डाइट में किसी भी प्रकार का परिवर्तन करने से पहले पेडियाट्रिशन से सलाह लेना महत्वपूर्ण है, 













गाय या भैंस
बच्चों के लिए गाय और भैंस का दूध दोनों ही पोषण से भरपूर होते हैं, लेकिन दोनों के पोषण मूल्य में कुछ अंतर होता है. गाय का दूध प्रोटीन और विटामिन बी-12 में अधिक होता है और इसका पाचन आसान होता है, जो छोटे बच्चों के लिए अच्छा हो सकता है. इसमें लैक्टोज की मात्रा भी कम होती है, जो लैक्टोज संवेदनशीलता वाले बच्चों के लिए उपयुक्त हो सकती है. वहीं, भैंस का दूध कैल्शियम, पोटैशियम और फैट में अधिक होता है, जो तेजी से बढ़ रहे बच्चों के लिए लाभदायक हो सकता है.