बच्चा जब टीनएज में कदम रखने लगता है तो उसके व्यवहार में अचानक बदलाव आ जाता है. कई बार तो ऐसा होता है कि नटखट, चुलबुला और प्यारा लगने वाला वह बच्चा अचानक बदतमीज हो जाता है. बात-बात पर बहस करता है और आपकी कई बातों को अनसुना करके मनमानी करने लगता है. कुल मिलाकर कह लीजिए कि वह बागी होने की कगार पर पहुंच जाता है. ऐसा सिर्फ रोजाना के काम-काज ही नहीं, बल्कि पढ़ाई से लेकर करियर चुनने के मसलों पर भी नजर आता है. अगर आपका बच्चा भी बागी हो रहा है तो क्या करना चाहिए? कैसे उसे संभालें, जिससे बात आपके हाथ से कभी न निकले?

सबसे पहले पेशेंस रखना सीखें
बचपन से ऐसा होता है कि आप बच्चे से कुछ भी कहते हैं और वह मन न होने पर भी चुपचाप आपकी बात मान लेता है. भले ही वह दबाव में क्यों न माने. जब वह टीनएज में पहुंच जाता है तो उस पर अपने दोस्तों और संगत का असर ज्यादा होने लगता है, जिसकी वजह से वह कई बार बागी मोड में पहुंच जाता है. ऐसे बच्चों को गुस्से से हैंडल करने की कोशिश कभी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे बात बिगड़ने का खतरा होता है. सबसे पहले तो ऐसी स्थिति में पेशेंस रखना सीखें और उन्हें समझने की कोशिश करें.

एग्जाम्प्ल से समझाएं अपनी बात
जब बच्चा आपको पलटकर जवाब देने लगे तो गुस्से में पलटवार करने से बचें. अगर आप ऐसा करते हैं तो बच्चा हिंसक हो सकता है और गलत कदम भी उठा सकता है. ऐसे में बच्चे को बेहद शांत दिमाग से चीजें समझाएं. उसके साथ एकदम आराम से तमाम मुद्दों पर तर्क-वितर्क करें और समाज में मौजूद एग्जाम्प्ल से समझाने की कोशिश करें. इससे बच्चा भले ही तुरंत न समझें, लेकिन गलती होने पर धीरे-धीरे संभलने लगता है. दरअसल, बच्चे के अंदर बागीपन इसलिए बढ़ने लगता है, क्योंकि उसे लगता है कि कोई भी उसे सीरियसली नहीं ले रहा है. बच्चे को कभी भी लेक्चर नहीं देना चाहिए, बल्कि उनकी तारीफ भी करनी चाहिए.

बच्चों की संगत पर भी रखें नजर
जब बच्चा बागी मोड में आ चुका हो तो उसकी संगत पर भी नजर रखने की जरूरत होती है. ऐसे में देखना जरूरी होता है कि वह जिन दोस्तों के साथ उठ-बैठ रहा है, वे कैसे हैं. अगर दोस्तों का चाल-चलन ठीक नहीं है तो बच्चे को धीरे से समझाने की कोशिश करें. ऐसे में बच्चे को किसी भी तरह अकेला नहीं छोड़ना चाहिए और न ही डोर को इतना कसने की कोशिश करनी चाहिए कि बच्चा घुटन महसूस करने लगे और बागी हो जाए.


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