(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
अगर आपके बच्चे को भी है सेपरेशन एंजाइटी डिसऑर्डर, तो जानें कैसे करें हैंडल
बच्चों में सेपरेशन एंजाइटी डिसऑर्डर एक ऐसी स्थिति है जहां वे अपने माता-पिता या परिवार के किसी खास सदस्य से दूर होने पर अधिक चिंता महसूस करते हैं. आइए जानते हैं इसे कैसे हैंडल करें..
क्या आपका बच्चा भी जब आपसे दूर होता है तो बहुत परेशान हो जाता है? इसे 'सेपरेशन एंजाइटी डिसऑर्डर' कहा जाता है. यह बच्चों में आम समस्या है जब वे अपने माता-पिता से अलग होते हैं तो चिंतित हो जाते हैं. लेकिन आज हम आपको कुछ आसान तरीके बताएंगे जिनसे आप अपने बच्चे की चिंता को दूर कर सकते हैं. जिससे वह जल्द ही ही बेहतर महसूस करने लगेगा. आइए जानते हैं क्या है वह टिप्स..
जब छोटे बच्चे अपने मां-बाप से अलग होते हैं, तो उन्हें बहुत चिंता हो सकती है. उन्हें यह समझाना बहुत जरूरी है कि आप बहुत जल्दी वापस आ जाएंगे. छोटे बच्चों को समय के बारे में पता नहीं होता, वे नहीं समझते कि कितनी देर में आप लौटेंगे. इसलिए उन्हें आसान उदाहरण देकर समझाएं कि आप जल्दी वापस आएंगे.
बच्चों के लिए एक नियमित दिनचर्या बनाना बहुत अच्छा होता है. यह उन्हें सुरक्षित और सहज महसूस कराती है. हर दिन एक ही समय पर सोने की कहानी सुनाएं या खेल का समय रखें. जब बच्चे जानते हैं कि क्या होने वाला है, तो वे ज्यादा खुश और तनाव मुक्त रहते हैं. इससे उनका दिन प्रेडिक्टेबल होता है, और वे हर रोज उसी काम की उम्मीद करते हैं. इस तरह की रूटीन से उन्हें बहुत आराम मिलता है.
अलगाव की आदत डालें
अपने बच्चे को अलग होने की आदत धीरे-धीरे डालें. शुरुआत में, थोड़ी देर के लिए ही सही, उसे अकेला छोड़ दें और फिर वापस आ जाएं. इस दौरान का समय धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं. इससे बच्चे को समझ में आएगा कि जब आप दूर जाते हैं, तो यह हमेशा के लिए नहीं होता. वह यह जान लेगा कि आप जरूर वापस आएंगे. यह तरीका उसे यह सीखने में मदद करेगा कि अलगाव कुछ समय के लिए होता है और आप फिर से मिलेंगे.
पॉजिटिव गुडबाय कहें
जब भी अलविदा कहें, हमेशा मुस्कुराकर कहें. इससे आपके बच्चे को लगेगा कि अलग होना इतना बुरा नहीं है. वह समझेगा कि आप जल्दी ही वापस आएंगे और उसे अकेले छोड़कर जाना कोई बड़ी बात नहीं है. यह उसे पॉजिटिव रहना सिखाता है.
पेशेंस रखें
कभी-कभी बच्चों को नई चीजें सीखने में वक्त लगता है. इस दौरान आपको धैर्य रखना चाहिए. उन्हें लगातार प्यार और सहारा दें ताकि वे खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें. यह समझें कि हर बच्चा अलग होता है और उन्हें समय देना जरूरी है.
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