(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Sudha Murthy Tips: बच्चों को सुधारने से पहले खुद में करें ये बदलाव, सुधा मूर्ति की इन सीख से संवर जाएगी जिंदगी
Parenting Tips: आपका बच्चा बड़ा हो रहा है और आप उसकी जिंदगी संवारना चाहती हैं तो आपको पहले खुद में कई बदलाव करने होंगे.
पैरेंटिंग की बात हो या जिंदगी के अनुभवों की, राज्य सभा सांसद सुधा मूर्ति अपनेआप में बेजोड़ हैं. कोई भी उनकी जिंदगी से सीख लेकर अपना फ्यूचर संवार सकता है. कई मौकों पर सुधा मूर्ति ने खुद बताया कि उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश मिडिल क्लास के हिसाब से की. अगर आप भी अपने बच्चे की जिंदगी संवारना चाहती हैं तो आपको पहले खुद में भी कई तरह के बदलाव करने होंगे.
बच्चों को कैसे समझाएं पैसे की अहमियत?
सुधा मूर्ति ने एक बार बताया था कि कैसे उन्होंने अपने बेटे रोहन को पांच स्टार होटल में बर्थडे पार्टी करने के लिए पैसे देने से इनकार कर दिया था. दरअसल, जब बच्चे इस तरह की पार्टी के लिए पैसे मांगते हैं तो पैरेंट्स उन्हें बुरी तरह डांट देते हैं, लेकिन इस मामले में सुधा मूर्ति का नजरिया बिल्कुल अलग है. उन्होंने बताया कि पैरेंट्स अपने बच्चों पर पैसे खर्च करना चाहते हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं है. हालांकि, बच्चा जिद कर रहा है तो उसे इसके बारे में आराम से समझाना चाहिए.
सुधा मूर्ति ने अपने बेटे को यूं दी थी नसीहत
सुधा मूर्ति ने मैथ की मदद से अपने बेटे रोहन को समझाया था. उन्होंने कहा था कि अगर तुम 50 बच्चों को इनवाइट करते हो और एक बच्चे पर एक हजार रुपये खर्च होते हैं तो पार्टी में कम से कम 50 हजार रुपये खर्च होंगे. हमारे ड्राइवर के तुम्हारे बराबर के दो बच्चे हैं, जिनकी स्कूल फीस 10 हजार रुपये होगी. अगर तुम उन्हें 20 हजार रुपये देते हो तो उन दोनों बच्चों की पढ़ाई बेहतर तरीके से हो सकेगी.
आप भी बच्चे को ऐसे दे सकती हैं सीख
सुधा मूर्ति ने अपने बेटे से कहा था कि तुम्हारी बर्थडे पार्टी हम समोसा और फ्रूटी देकर भी मना सकते हैं, लेकिन तुम फाइव स्टार होटल में 50 हजार खर्च करोगे तो उससे कोई भी बच्चा स्कूल नहीं जाएगा. अगर आप भी अपने बच्चे को इस तरह से समझाती हैं तो वह न सिर्फ आपकी बात समझेगा, बल्कि अपनी जिंदगी में इन्हें फॉलो भी करेगा.
बच्चों को बराबरी के बारे में समझाएं
सुधा मूर्ति कहती हैं कि बच्चे एकदम मासूम होते हैं. उन्हें समाज के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है. ऐसे में उन्हें लोगों में किसी भी तरह का भेदभाव करना नहीं सिखाना चाहिए. इससे उनका मन एकदम साफ रहेगा, लेकिन बच्चों को सीख देने से ही कुछ नहीं होगा. आपको भी अपने मन से इस तरह का भेदभाव निकालना होगा. दरअसल, बच्चे काफी चीजें अपने पैरेंट्स को देखकर करते हैं. अगर आप बच्चों के सामने सभी लोगों को बराबर मानेंगे तो वे भी आपको ही फॉलो करेंगे.
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