बच्चे मन के सच्चे होते हैं. अपनी मासूमियत के चलते वे यह नहीं समझ पाते हैं कि वे जो कर रहे हैं, वह सही है या गलत. इसके चलते वे कई बार गलत आदतों के शिकार हो जाते हैं और झूठ भी बोलने लगते हैं. जब आपके दो या उससे ज्यादा बच्चे होते हैं तो एक-दूसरे का एग्जाम्पल देकर उन्हें समझाना आसान होता है, लेकिन इकलौता बच्चा होने पर दिक्कतें बढ़ जाती हैं. आइए आपको बताते हैं कि अगर इकलौता बच्चा झूठ बोलने लगा है तो उसकी यह आदत कैसे छुड़ाएं?
सवाल पूछने के अंदाज में बदलाव
जब हम बच्चों से कुछ पूछते हैं तो वे घबरा जाते हैं. इसकी वजह से वे झूठ बोलने लगते हैं. इसका अंतर आप ऐसे समझ सकते हैं. जैसे अगर आप उनसे पूछते हैं कि यह काम क्यों नहीं किया तो हो सकता है कि वे बहाने बनाने लगें, लेकिन अगर हम पूछें कि यह काम कब तक करने का प्लान है तो सही जवाब देने की कोशिश करेंगे. इसके लिए उनके सामने कोई एग्जाम्प्ल रखें, जिससे बच्चे के अंदर का डर निकल जाए.
गलती होने पर बच्चे को समझाएं
अब बच्चे गलती नहीं करेंगे तो सीखेंगे कैसे? अगर बच्चा गलती कर रहा है तो उसे प्यार से समझाएं. अगर आप उसे बार-बार झिड़केंगे तो उसके अंदर डर आ जाएगा और वह झूठ बोलने लगेगा. उसे बताएं कि जो गलती उसने की है, उससे उसे कैसे नुकसान हुआ या भविष्य में नुकसान हो जाएगा. इसके लिए डांट-फटकार का सहारा न लें. गलती होने पर बच्चे को सजा देने के बारे में कभी न सोचें. अगर आप उसे सजा देते हैं तो वह अपनी गलतियों को छुपाने की कोशिश शुरू कर देगा.
बच्चों के सामने झूठ न बोलें
गौर करने वाली बात यह है कि बच्चे अपने पैरेंट्स की आदतों को ही कॉपी करते हैं. ऐसे में आप कोशिश करें कि उनके सामने कभी भी झूठ न बोलें. इससे उन्हें भी हमेशा सच बोलने की सीख मिलेगी और वे इस तरह की गलतियां करने से बचेंगे.
सच बोलने पर तारीफ भी करें
जब कोई गलती हो जाए और बच्चा खुद ही हिम्मत जुटाकर आपको उसके बारे में बता रहा है तो उसे कभी भी डांटें या फटकारें नहीं. चाहे गलती कितनी भी बड़ी क्यों न हो. अगर आप बच्चे को उस वक्त डांट देंगे तो वह दोबारा सच बोलने की हिम्मत कभी नहीं करेगा और हमेशा झूठ बोलकर बचने की कोशिश में लग जाएगा. भविष्य में यह उसकी आदत बनकर रह जाएगा.
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