Parenting Tips: बनाना चाहते हैं बच्चे की जिंदगी तो तुरंत छोड़ दीजिए ये चीजें, सद्गुरु की इन बातों पर करें अमल
Sadhguru Parenting Tips: हर महिला प्रेग्नेंसी के दौरान ही अपने बच्चे की जिंदगी बनाने के बारे में ही सोचने लगती है, लेकिन इसके लिए पैरेंट्स को भी खुद में बदलाव लाने होते हैं.
पैरेंट्स चाहे अमीर हों या गरीब, हमेशा चाहते हैं कि उनका बच्चा जिंदगी में कामयाबी हासिल करे. उसे वह सब कुछ आसानी से मिल जाए, जिसके लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ा. इसके लिए सिर्फ बच्चे को पढ़ाना-लिखाना ही काफी नहीं होता है. पैरेंट्स को उस वक्त से ही खुद में भी बदलाव करने की जरूरत होती है, जबसे महिला के प्रेग्नेंसी पीरियड की शुरुआत होती है. इसके लिए मोटिवेशनल स्पीकर सद्गुरु के टिप्स आपके बेहद काम आ सकते हैं, जिससे प्रेग्नेंट महिला भी बेहद खुश रहेगी और आने वाले बच्चे की जिंदगी में बेहतरीन होगी.
नेगेटिव चीजों से हमेशा रखें दूरी
सद्गुरु की मानें तो अच्छा पैरेंट्स बनने के लिए माता-पिता दोनों को खुद में बदलाव करने चाहिए. खासकर पिता को तो इस पर खास ध्यान देना चाहिए, क्योंकि वे दिनभर ऑफिस के काम में बिजी रहते हैं और परिवार के लिए उनके पास वक्त काफी कम होता है. ऐसे में उन्हें खुद को नेगेटिव चीजों से दूर रखना चाहिए. इससे जब वह प्रेग्नेंट महिला से बातचीत करेंगे तो नेगेटिव विचारों का आदान-प्रदान नहीं होगा और बच्चे पर भी इसका असर नहीं पड़ेगा.
बुरी आदतों को कह दें अलविदा
जब आपकी पत्नी या पार्टनर प्रेग्नेंसी के पीरियड से गुजर रही हो, तब आपको अपनी बुरी आदतों को अलविदा कह देना चाहिए. सद्गुरु के मुताबिक, बच्चा भले ही गर्भ में हो, लेकिन पैरेंट्स की बुरी आदतों का असर उस पर भी पड़ता है और भविष्य में इसके खराब नतीजे देखने को मिल सकते हैं. ऐसे में हमेशा पॉजिटिव अप्रोच अपनानी चाहिए.
परिवार के साथ बिताएं वक्त
पत्नी की प्रेग्नेंसी के दौरान पति के लिए सबसे जरूरी चीज यह है कि वह परिवार के साथ वक्त बिताने की डालें. इससे महिला और उसके गर्भ में पलने वाले बच्चे को खुशी मिलती है. खास बात यह है कि इस आदत को डिलिवरी के बाद भी नहीं छोड़ना चाहिए.
बहुत जरूरी है यह आदत
सद्गुरु की मानें तो पुरुष अक्सर इंट्रोवर्ड यानी अंतर्मुखी होते हैं. वे कभी खुलकर किसी की तारीफ नहीं करते, लेकिन उन्हें इस आदत में बदलाव लाना चाहिए. उन्हें अपनी पत्नी और बच्चे की कभी-कभी तारीफ जरूर करनी चाहिए. इससे परिवार के सदस्य प्रोत्साहित होते हैं, जिनमें बच्चे खासकर शामिल हैं. साथ ही, यह कदम बच्चों को नए-नए काम करने की प्रेरणा देता है, इसलिए भले ही उपलब्धि छोटी हो, बच्चे की तारीफ जरूर करनी चाहिए. इससे परिवार में भी हंसी-खुशी का माहौल बना रहता है. यह बात ध्यान रखने की जरूरत है कि पुरुषों को कभी भी अपने परिवार या बच्चों की तुलना किसी दूसरे से नहीं करनी चाहिए. इससे बच्चों के मन पर काफी बुरा असर पड़ता है.
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