जब हम अपने काम में व्यस्त होते हैं, तो कभी-कभी हम बच्चों की बात को नहीं सुन पाते. हम सोचते हैं कि शायद उनकी बातें इतनी जरूरी नहीं होतीं. पर क्या हमने कभी सोचा है कि इससे उन्हें कैसा लगता होगा? जब हम उनकी बातें नहीं सुनते, तो उन्हें लग सकता है कि उनकी बातों का कोई मोल नहीं है. इससे उनका मन उदास हो सकता है और वे खुलकर अपनी बातें हमसे कहने में हिचकिचाने लग सकते हैं. आज हम इसी बारे में बात करेंगे कि हम अपने बच्चों की बातों को कैसे सुनकर उनके साथ एक अच्छा रिश्ता बना सकते हैं. 


आत्मविश्वास में कमी
जब हम बच्चों की बातें नहीं सुनते, तो वे सोचने लगते हैं कि उनकी बातें महत्वपूर्ण नहीं हैं. इससे उनका मनोबल गिरता है, और वे खुद को दूसरों के सामने व्यक्त करने में हिचकिचाने लगते हैं. यानि की उनके अंदर से खुद पर विश्वास उठ जाता है. 


मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
बार-बार अनसुनी किए जाने पर बच्चे खुद को अकेला और उदास महसूस करने लगते हैं. उनके दिल में एक डर और चिंता की भावना बैठ जाती है कि कहीं वे किसी के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं. 


संवादहीनता
जब बच्चों का मानना होता है कि उनकी बात कोई नहीं सुनता, तो वे अपने मन की बात किसी से भी कहने में हिचकिचाने लगते हैं. इससे घर में बातचीत कम हो जाती है, और परिवार के सदस्यों के बीच की दूरियां बढ़ जाती हैं. 


बच्चों के साथ अच्छा संबंध कैसे बनाएं



  • ध्यान से सुनें: जब आपका बच्चा आपसे बात करे, तो पूरा ध्यान दें. टीवी और मोबाइल को दूर रखें और बच्चे के साथ बातें करे. इससे उन्हें लगेगा कि आप उनकी बात को वाकई में सुन रहे हैं और उनकी बात आपके लिए खास है. 

  • वक्त निकालें: हर दिन ऐसा समय होना चाहिए जब आप सिर्फ अपने बच्चे के साथ हों. चाहे वो खाना खाते समय हो या सोने से पहले कहानी सुनाने का समय, ये पल आपके और आपके बच्चे के बीच के रिश्ते को मजबूत बनाते हैं.

  • प्रोत्साहित करें: जब भी आपका बच्चा आपके साथ कुछ साझा करे, तो उनकी तारीफ करें और उन्हें और भी बातें शेयर करने के लिए उत्साहित करें. जब आप उनके विचारों और भावनाओं को महत्व देंगे, तो उन्हें लगेगा कि उनकी बातें वाकई में कुछ मायने रखती हैं. 


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