अक्सर माता-पिता के मन में यह सवाल उठता है कि उनका छोटा बच्चा उनके साथ सोए या अलग कमरे में? कुछ लोग कहते हैं कि बच्चे को मम्मी-पापा के पास ही सोना चाहिए, तो कुछ का कहना है कि बच्चे को अपने बिस्तर पर सोना सीखना चाहिए. हर कोई अपने तरीके से सही बात कहता है, लेकिन असल में विशेषज्ञ क्या कहते हैं? आइये, इस बारे में और जानते हैं और समझते हैं कि किस तरह से आप अपने बच्चे की नींद को बेहतर बना सकते हैं.
जानें विशेषज्ञों के अनुसार
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को अपनी शुरुआती उम्र में माता-पिता के साथ सोना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें सुरक्षित और आरामदायक लगता है. लेकिन जैसे ही बच्चे 2 से 3 साल के हो जाते हैं, उन्हें धीरे-धीरे अकेले सोने की आदत डालनी चाहिए. यह उन्हें खुद पर निर्भर रहना सिखाता है और उनकी आत्म-सम्मान और स्वतंत्रता की भावना को बढ़ावा देता है. इस तरीके से बच्चे अपने लिए जगह बनाना सीखते हैं और जिंदगी में काम आने वाली बातें सीखते हैं.
सुरक्षा और आराम का अहसास
जब छोटे बच्चे अपने माता-पिता के साथ सोते हैं, तो वे खुद को सुरक्षित और आराम में महसूस करते हैं. इससे उनकी नींद अच्छी आती है और मन भी शांत रहता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि माता-पिता के पास सोने से बच्चों को बहुत सुकून मिलता है. जब बच्चे अपने माता-पिता के करीब सोते हैं, तो उन्हें एक सुरक्षित और स्थिर जगह मिलती है. इससे वे खुश और स्वस्थ रहते हैं. यह सब उनकी अच्छी बढ़ोतरी में योगदान देता है.
आत्म-निर्भरता सीखना
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उन्हें खुद से सोने की आदत डालनी चाहिए. इससे उनमें खुद के फैसले लेने की क्षमता आती है और वे स्वतंत्र बनते हैं. जब बच्चे अकेले सोना सीखते हैं, तो उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का भी पता चलता है. यह उन्हें खुद का ख्याल रखना और मुश्किल समय में अपने आप को संभालना सिखाता है. ये सब बातें उनके व्यक्तित्व को मजबूत बनाती हैं और उन्हें आत्म-निर्भर बनने में मदद करती हैं. इसलिए, अलग सोना बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद होता है.
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