बच्चों को पालना आसान काम नहीं होता. यह बात नए पैरेंट्स बने कपल काफी जल्दी समझ जाते हैं. शुरुआत में उन्हें लगता है कि बच्चे आसानी से पल जाएंगे, लेकिन धीरे-धीरे इसकी मुश्किलें समझ आने लगती हैं. पैरेंटिंग का मतलब सिर्फ बच्चे को नहलाना-धुलाना नहीं होता, बल्कि इसमें लाड़-प्यार-दुलार आदि सब कुछ शामिल होता है. इसे ही अच्छे पैरेंट्स की निशानी माना जाता है. हालांकि, बड़े होते बच्चे धीरे-धीरे गलत व्यवहार भी करने लगते हैं. कई बार तो वे ऐसा काम भी कर देते हैं, जिसके लिए आप सहमत नहीं होते. ऐसे में पैरेंट्स कई बार बच्चों की पिटाई भी कर देते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए उनकी पिटाई करना सही है? इससे बच्चों को क्या नुकसान हो सकता है?


बच्चों को लग सकती है गंभीर चोट


सभी पैरेंट्स अपने बच्चे को शुरू से ही अनुशासित रखना चाहते हैं. यकीनन आपके इरादे नेक होते हैं, लेकिन अनुशासन सिखाने के लिए बच्चों को पीटना कतई सही नहीं होता. आप बच्चों को दूसरे तरीकों से भी अनुशासित रहना सिखा सकते हैं. दरअसल, पिटाई से बच्चों को गंभीर चोट भी लग सकती है, जिससे उन्हें ताउम्र जूझना पड़ सकता है.


बच्चों पर पड़ता है बुरा असर


मारपीट से बच्चों पर बेहद खराब असर पड़ता है. इससे उनका मानसिक संतुलन भी बिगड़ सकता है. वे हमेशा डरे-डरे रह सकते हैं और उनका आत्मविश्वास भी खत्म हो सकता है. ऐसा बच्चा अपने भविष्य को लेकर फैसले करने में सक्षम नहीं होता, जिससे उसका करियर भी तबाह हो सकता है. वहीं, वह डिप्रेशन में भी जा सकता है, जिससे उसका भविष्य पूरी तरह बर्बाद हो सकता है.


ऐसी हो सकती है बच्चों की हालत


आप भले ही बच्चे को अनुशासित करने के लिए पिटाई कर रहे हैं, लेकिन वह उनके लिए सजा ही होती है. ऐसे में वे गलतियां करते हैं और उसे छिपाने के चक्कर में झूठ बोलना सीख जाते हैं. इसके अलावा उनका व्यवहार भी आक्रामक हो सकता है. उनकी पढ़ाई-लिखाई पर भी इसका असर नजर आ सकता है. खास बात तो यह है कि पिटाई से बच्चे कुछ भी नहीं सीखते हैं. 


कानूनन भी गलत है बच्चों की पिटाई


गौर करने वाली बात यह है कि बच्चों की पिटाई करना कानूनन रूप से गलत भी है. दुनिया के कई देशों में बच्चों की पिटाई करने पर पैरेंट्स को जेल तक भेज दिया जाता है. भारत में भी बच्चों को मारने-पीटने और धमकाने पर पैरेंट्स को सजा का प्रावधान है. इस तरह के मामलों में पैरेंट्स के खिलाफ केस दर्ज हो सकता है और जुर्म साबित होने पर उन्हें छह महीने तक की जेल भी हो सकती है.


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