स्कूल का समय तो हम सबके लिए खास होता है. यहां हमारे बच्चे नई-नई बातें सीखते हैं, दोस्ती करते हैं और कई तरह की नई चीजों का अनुभव करते हैं. पर कभी-कभी, स्कूल में उनका समय मुश्किल भी हो सकता है, खासकर जब उन्हें किसी तरह की परेशानी हो. बुलीइंग एक ऐसी ही परेशानी है जो उनके मन और आत्मविश्वास को दुख पहुंचा सकती है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि हम ये समझें कि बुलीइंग के संकेत क्या हैं और हमारे बच्चों को इससे बचाने के लिए हम क्या कर सकते हैं. आइए जानते हैं..


बुलीइंग के संकेत कैसे पहचानें



  • व्यवहार में बदलाव: अगर आपके बच्चे का व्यवहार अचानक बदल जाए, जैसे वो ज्यादा चुप रहने लगे या उसकी आदतों में परिवर्तन आए, तो इसे हल्के में न लें. ये बुलीइंग का संकेत हो सकता है.

  • अकेलापन: जब बच्चा दोस्तों और परिवार से कटने लगे और अकेलापन पसंद करने लगे, तो समझें कि कुछ गलत है. यह बुलीइंग का एक स्पष्ट संकेत हो सकता है.

  • शारीरिक निशान: जब आपके बच्चे के शरीर पर बिना किसी स्पष्ट कारण के चोटें या निशान दिखें, तो गौर करें. ये बुलीइंग की तरफ इशारा कर सकते हैं, जो गंभीर मुद्दा है









     










     


  • स्कूल जाने से बचना: अगर आपका बच्चा स्कूल जाने से कतराने लगे या बहाने बनाए, तो यह चिंता का विषय है. ये बता सकता है कि स्कूल में कुछ ठीक नहीं है, शायद बुलीइंग का मामला हो.







     










बुलीइंग से निपटने के उपाय



  • बातचीत का महत्व: अपने बच्चे के साथ खुलकर बातचीत करें. उन्हें बताएं कि वे आपसे कुछ भी शेयर कर सकते हैं.

  • स्कूल से संपर्क करें: अगर आपको लगता है कि बच्चे को बुली किया जा रहा है, तो तुरंत स्कूल से बात करें.

  • आत्मविश्वास बढ़ाएं: बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उनकी तारीफ करें और उन्हें सकारात्मक बातें बताएं.ॉ

  • प्रोफेशनल मदद: अगर जरूरत पड़े, तो मनोवैज्ञानिक से सलाह लें.

  • बुलीइंग रोकना हम सभी का काम है. चाहे वो घर हो, स्कूल या समाज, हर जगह हमें मिलकर इसे खत्म करने के लिए कदम उठाने चाहिए, ताकि हर बच्चा सुरक्षित महसूस कर सके. 


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