बहुत से माता-पिता अपने बच्चों की खुशी के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और उनकी हर मांग को पूरा करने में जुटे रहते हैं. यह उनके प्यार और देखभाल की भावना से उपजा होता है. माता-पिता का मानना होता है कि बच्चों को हर चीज मिलनी चाहिए जिससे वे खुश रहेंगे. लेकिन, क्या इसका कोई नुकसान भी हो सकता है? आइए आज हम इसके बारे में गहराई से जानते हैं और समझतें हैं कि माता-पिता को किस प्रकार को ना भी करना सिखना चाहिए. हर जिद्द पूरी नहीं करना चाहिए.
जानें हर बात मानने का नुकसान
अनुशासन की कमी
अगर हम बच्चों की हर बात मानते जाएं तो उन्हें सही और गलत का फर्क समझ में नहीं आता. उन्हें लगता है कि वे जो चाहें वो तुरंत मिलना चाहिए. इससे उनमें सब्र की कमी होती है और वे हर चीज के लिए जिद्दी बन सकते हैं. ऐसे में उन्हें चुनौतियों का सामना करने की आदत नहीं होती, जो बाद में समस्या बन सकती है.
सब्र नहीं सिखते
बच्चे जब हमेशा अपनी हर मांग पूरी होते देखते हैं, तो उन्हें सब्र करना नहीं आता. वे तुरंत सब कुछ चाहते हैं और इंतजार करने की आदत नहीं होती. इससे उनमें धैर्य की कमी हो जाती है और वे जिद्दी बन सकते हैं.
वास्तविकता से दूर
बच्चे जब हर चीज आसानी से पाते हैं, तो उन्हें असली दुनिया की समझ नहीं होती. वे यह नहीं जान पाते कि जीवन में सब कुछ तुरंत नहीं मिलता. इससे उन्हें जब कठिनाइयां आती हैं, तो उनका सामना करने में दिक्कत होती है क्योंकि वे चुनौतियों के लिए तैयार नहीं होते.
सिर्फ खुद की सोचें
जब बच्चों की हर मांग पूरी होती है, तो वे सिर्फ अपने बारे में ही सोचने लगते हैं. उन्हें लगता है कि हर बात में उनकी ही चलनी चाहिए. ऐसे में, वे दूसरों की भावनाओं का ख्याल नहीं रख पाते और अक्सर खुद को ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण समझने लगते हैं. यह उनके व्यक्तित्व के लिए अच्छा नहीं है.
माता-पिता क्या करें?
- संतुलन बनाएं: हर बात के लिए 'हां' न कहें. कभी-कभी 'ना' कहना भी जरूरी है ताकि बच्चे समझें कि हर चीज मिल नहीं सकती.
- धैर्य सिखाएं: उन्हें सिखाएं कि कुछ चीजों के लिए इंतजार करना पड़ता है.
- असली दुनिया के बारे में बताएं: बच्चों को यह समझाएं कि हर इच्छा पूरी नहीं हो सकती.
- दूसरों की सोचें: उन्हें सिखाएं कि दूसरों के साथ बांटना और सहयोग करना कैसे जरूरी है.
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