माता-पिता और बच्चे का रिश्ता बहुत गहरा रिश्ता होता है. इस रिश्ते में प्यार, चिंता, मस्ती मजाक सभी चीज होती हैं, लेकिन कई बार माता-पिता अपने बच्चों के जीवन में जरूर से ज्यादा हस्तक्षेप करते हैं. ऐसा करना बच्चों पर बुरा प्रभाव डाल सकता है. आजकल पेरेंट्स और बच्चों के बीच में हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग काफी चर्चा में आ गया है. क्या आप हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो यह खबर आपके लिए है. आज हम आपको हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के बारे में बताएंगे.
क्या है हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग
पेरेंट्स अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देना चाहते हैं, ताकि उनका बच्चा समझदार बने. ऐसे में कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों की जिंदगी में जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी कर देते हैं. उनकी यह आदत हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के अंदर आती है. यानी हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग उसे कहा जाता है जब पेरेंट्स अपने बच्चों की जिंदगी में दखलअंदाजी करते हैं और हर वक्त अपने बच्चों के आगे पीछे घूमते रहते हैं.
यही नहीं पेरेंट्स हर छोटी बड़ी बात में बच्चों के लिए खुद फैसला ले लेते हैं और उनकी समस्या का समाधान भी खुद कर देते हैं. यानी पेरेंट्स अपने बच्चों को बाहरी दुनिया से बचाने की काफी कोशिश करते हैं. ऐसा करना हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के अंदर आता है.
बाहरी दुनिया से बच्चों का बचाव
अगर पेरेंट्स अपने बच्चों की गतिविधि पर लगातार नजर रखते हैं और उसके समस्या में पड़ने पर खुद सारे समाधान निकाल देते हैं, बाहरी दुनिया से अपने बच्चों को बचाने की कोशिश करते हैं, बच्चों की भावनाओं को समझने में कठिनाइयां महसूस करते हैं, बच्चों को निर्णय लेने का मौका नहीं देते हैं. इसका मतलब है कि बच्चे के पैरेंट्स हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग की गिनती में आ रहे हैं. इससे बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.
हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के कारण पड़ सकता है बुरा प्रभाव
हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के कारण बच्चों में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है और वह खुद से अपने निर्णय नहीं ले पता है. यही नहीं किसी भी परेशानी में पढ़ने पर वह उस समस्या का हल नहीं निकाल पाता है. इससे बच्चा अधिक तनाव और प्रेशर में जीता है.
यही नहीं बच्चों में सामाजिक कौशल का विकास भी नहीं हो पता है. ऐसे में हर पेरेंट्स को बच्चों को स्वतंत्रता देना चाहिए और उनके खुद के निर्णय उन्हें खुद लेने देना चाहिए. इससे बच्चा काफी कुछ सीखता है और आत्मविश्वास से भरपूर बनता है.
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