एक नवजात बच्चे का पालन-पोषण करना काफी मुश्किल काम होता है. क्योंकि वे अपनी भावनाओं को शब्दों में स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में सक्षम नहीं होते. इसलिए एक नवजात बच्चे के माता-पिता को एक्स्ट्रा केयरफुल रहना पड़ता है. उन्हें अपने बच्चे की जरूरतों को समझने और उन्हें पूरा करने के लिए उनकी छोटी-छोटी हरकतों पर नजर रखना पड़ता है, आथ ही बहुत धैर्य के साथ काम लेना होता है.


पेरेंटिंग एक ऐसा टास्क है, जिसमें आपको पता होना चाहिए कि आपको कब एक्टिव रहना है और कब संयम बरतना है. बच्चे के पालन-पोषण का कोई फॉर्मुला नहीं होता और न ही कोई इसमें निपुण होता है. यह सबकुछ धीरे-धीरे समझ में आता है, जिसके लिए प्रेक्षण ही एकमात्र रास्ता है. आपको अपने बच्चे की बात सुनने, आदतों को समझने और उनके हाव-भाव को पढ़ने से ही बातें समझ आएंगी. हालांकि, यहां कुछ ऐसे सामान्य आदतों के बारे में बताया गया है, जिसे लगभग हर बच्चे में देखा जाता है. एक माता-पिता के रूप में आपको इन आदतों के बारे में पता होना चाहिए.


नवजात बच्चों के बारे में कुछ जरूरी बातें


- एक बच्चा भावनात्मक रूप से हम पर बहुत निर्भर होता है, और उनका सबसे बड़ा डर हमारा प्यार खोना है. अत: हमें उनके प्रति कठोर व्यवहार करने से बचना चाहिए.


- बच्चे आमतौर पर भावनात्मक रूप से परिपक्व होने की तुलना में शारीरिक रूप से अधिक सक्षम होते हैं. इसलिए, हमें उनकी इमोशनल रेगुलेशन तकनीकों की तुलना में उनके शारीरिक कौशल पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करना चाहिए.


- रोना बच्चों के लिए अपनी बात समझाने का एक तरीका है, क्योंकि वे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का कोई अन्य तरीका अपनाने में सक्षम नहीं हैं.


- बच्चे अक्सर यह जानने के लिए कि उनकी सीमाएं क्या हैं, इंटेंस व्यवहार करने लगते हैं, जैसे कई बार अधिक शैतानी करना या जिस काम के लिए मना किया जाए उसे ही करना. इसके लिए दंडित न करें बल्कि उन्हें सरल भाव से समझाएं.


- बच्चों में आवेग नियंत्रण और भावनात्मक विनियमन कौशल की कमी होती है. इसलिए वे पहली बार में बात मानने में भी असमर्थ होते हैं. कोशिश करें कि उनके साथ सब्र से काम लें.