Parenting Tips: चाणक्य की इन सूक्तियों से बच्चों को दें सीख, यकीन मानिए बदल जाएगी पूरी जिंदगी
How to teach Kids: देश की महान शख्सियतों की जिंदगी से बच्चों को आगे बढ़ने की सीख दी जा सकती है. आज हम आपको चाणक्य की सूक्तियों की जानकारी दे रहे हैं.
बच्चों को सही चीजें सिखाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उन्हें देश के महापुरुषों की बातों से रूबरू कराया जाए. इससे न सिर्फ बच्चों का विकास होगा, बल्कि उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल जाएगी. आज हम जिनकी जिंदगी से बच्चों को सीख देने की बात कर रहे हैं, वह कोई और नहीं, बल्कि देश के महान फिलॉसफर चाणक्य हैं. उन्हें दुनिया कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जानते हैं. प्राचीन भारत के महान शिक्षक, फिलॉसफर, इकॉनमिस्ट और शाही सलाहकार चाणक्य को कौन नहीं पहचानता है. उनकी सूक्तियों से सजी चाणक्य नीति आज भी लोगों को सही गलत का फर्क समझाती है.
बच्चों को दें यह सीख
किसी भी शख्स को हद से ज्यादा ईमानदार नहीं होना चाहिए, क्योंकि सीधे पेड़ सबसे पहले काटे जाते हैं और ईमानदार लोगों के साथ ही सबसे ज्यादा बुरा होता है. चाणक्य ने भी कहा था कि हद से ज्यादा ईमानदारी व्यक्ति के लिए नुकसानदायक हो सकती है. उन्होंने सलाह दी थी कि अगर आपका उत्पीड़न हो रहा है तो आपको अपनेआप में बदलाव करना चाहिए.
काम के लिए बच्चे ऐसे करें तैयारी
बच्चों को बताएं कि अगर आप कोई काम शुरू कर रहे हैं तो खुद से तीन सवाल जरूर पूछें. मैं यह क्यों कर रहा हूं. इसका नतीजा क्या होगा और क्या मुझे कामयाबी मिलेगी. जब आप गंभीरता से सोचेंगे और इसका संतोषजनक जवाब पा लेंगे तो अपने मिशन की तरफ कदम बढ़ा दीजिए. बच्चों को सिखाएं कि वह कुछ भी काम क्यों न करें, लेकिन उससे पहले तैयारी जरूर करें.
डर पर ऐसे पाएं काबू
चाणक्य कहते थे कि जब कभी आपको डर लगे तो उससे आंखें मिलाएं और उसे खत्म कर दें. बच्चों को किसी भी परिस्थिति से डरना नहीं चाहिए. खुद पर भरोसा करके वे तरक्की कर सकते हैं.
बच्चों को समझाएं पढ़ाई की अहमियत
चाणक्य ने कहा था कि पढ़ाई आपकी सबसे अच्छी दोस्त है. एक पढ़े-लिखे व्यक्ति को हर जगह सम्मान मिलता है. पढ़ाई से आप यूथ पावर और खूबसूरती दोनों को मात दे सकते हैं. ऐसे में बच्चों को पढ़ाई की अहमियत जरूर समझानी चाहिए.
असफलता को स्वीकार करना सीखें
बच्चे बेहद मासूम होते हैं. थोड़ी-सी दिक्कत होते ही वे घबराने लगते हैं और अगर उन्हें कहीं असफलता मिलती है तो वे बिखरने लगते हैं. ऐसे में उन्हें समझाने की जरूरत है कि अगर उन्होंने कोई काम या कुछ भी शुरू किया है तो असफलता मिलने पर कभी भी डरना नहीं चाहिए. अगर नाकामयाबी नजर आ रही है तो भी काम अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए. जो लोग अपना काम गंभीरता से करते हैं, वे हमेशा खुश रहते हैं.
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