हर माता-पिता अपने शिशु को खुश और आरामदायक महसूस कराने के लिए कई तरीके अपनाते हैं. इन्हीं में से एक तरीका है शिशु को पैसिफायर देना. लेकिन, क्या यह सही है या गलत? इस सवाल पर माता-पिता के मन में अक्सर दुविधा रहती है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि पैसिफायर के फायदे और नुकसान दोनों हैं. आइए, जानते हैं एक्सपर्ट्स की राय और समझते हैं कि शिशु के लिए पैसिफायर सही है या गलत. 


पैसिफायर के फायदे



  • शांति और सुकून: पैसिफायर शिशु को शांत करने में मदद करता है. यह शिशु को सुकून और आराम देता है, खासकर जब वह रो रहे होते हैं.

  • नींद में सुधार: पैसिफायर शिशु को सोने में मदद कर सकता है। कई बार, शिशु को नींद में वापस जाने के लिए यह सहारा मिलता है.

  • सडन इन्फैंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) का खतरा कम: कुछ शोध बताते हैं कि सोते समय पैसिफायर का उपयोग करने से शिशु में अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) का खतरा कम हो सकता है. पैसिफायर

  • शिशु की सांस लेने की प्रक्रिया को नियमित रखने में मदद कर सकता है, जिससे SIDS का जोखिम घटता है. 


पैसिफायर के नुकसान



  • दांतों की समस्याएं:लंबे समय तक पैसिफायर का उपयोग शिशु के दांतों के विकास में समस्या पैदा कर सकता है.

  • कान के संक्रमण: पैसिफायर का लंबे समय तक उपयोग कान के संक्रमण का खतरा बढ़ा सकता है.

  • निर्भरता: शिशु पैसिफायर पर बहुत ज्यादा निर्भर हो सकते हैं, जिससे उन्हें इसे छोड़ने में परेशानी हो सकती है. 


एक्सपर्ट्स की सलाह



  • सीमित उपयोग: अधिकांश एक्सपर्ट्स का मानना है कि पैसिफायर का सीमित उपयोग करना चाहिए. इसे केवल तब ही देना चाहिए जब शिशु बहुत परेशान हो.

  • सही समय पर छोड़ना: शिशु को पैसिफायर से धीरे-धीरे छुटकारा दिलाना जरूरी है. आमतौर पर, दो साल की उम्र तक पैसिफायर छोड़ देना चाहिए.

  • साफ-सफाई का ध्यान: पैसिफायर का उपयोग करते समय उसकी साफ-सफाई का ध्यान रखना जरूरी है. इससे संक्रमण का खतरा कम होता है.

  • पैसिफायर का उपयोग सही तरीके से और सही समय पर किया जाए तो यह शिशु के लिए फायदेमंद हो सकता है.

  • इसका अधिक उपयोग कई समस्याएं पैदा कर सकता है. इसलिए, माता-पिता को एक्सपर्ट्स की सलाह के अनुसार ही पैसिफायर का उपयोग करना चाहिए. 


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